‘गांधी माय फादर’ से पहले की थी ‘देख तमाशा देख’ की कल्पना: फिरोज

‘गांधी माय फादर’ से पहले की थी ‘देख तमाशा देख’ की कल्पना: फिरोज

‘गांधी माय फादर’ से पहले की थी ‘देख तमाशा देख’ की कल्पना: फिरोजनई दिल्ली : चुनावों की सरगर्मी के बीच निर्देशक फिरोज अब्बास खान अपनी ‘देख तमाशा देख’ लेकर हाजिर हैं। उनकी यह फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित एक राजनीतिक व्यंग्य है। फिरोज ने कई साल पहले ‘गांधी माय फादर’ से अपने करियर की शुरूआत की थी, जिसे काफी सराहा गया था।

फिरोज ने कहा, इस फिल्म में दिखायी गयी घटनाएं सच्ची हैं। कई साल पहले मुझे एक अवकाशप्राप्त पुलिस आयुक्त ने कहानी सुनाई थी, जिसने मुझे अंदर तक हिला कर रख दिया था। जब मैं अपनी पहली फिल्म बना रहा था तब भी मुझे यह कहानी फिल्म बनाने के लिए प्रेरित करती थी। अब जाकर मैं इसे बना पाया हूं। फिरोज ने कहा कि जब तक इस फिल्म का निर्माण नहीं हो जाता उनकी अंतरात्मा पर बोझ बना रहता।

उन्होंने कहा, मैं अब इस फिल्म के बनने के बाद चिंतामुक्त हो गया हूं। जब से मैंने इस कहानी को सुना था तब से यह मेरे दिलो-दिमाग पर छायी हुई थी, यहां तक कि मेरी मंच प्रस्तुतियों के दौरान भी बस यही बात थी कि कैसे इस पर फिल्म बनाई जाए? फिल्म के बारे में बताते हुए फिरोज कहते हैं, यह फिल्म आंशिक वृत्त चित्र और हास्य-व्यंग्य का सम्मिलित रूप है, जो इस व्यावसायिक दौर में प्रशासनिक उदासीनता और मीडिया के नैतिक मूल्यों में बदलाव पर को दर्शाती है।

चुनाव के समय फिल्म के रिलीज होने से फिरोज खुश हैं। मुंबई में जन्मे 54 वर्ष के फिरोज अपने को सिनेमा के बंधनों से दूर रखना पसंद करते हैं, इसलिए एक लड़का- लड़की के बीच फिल्माए दृश्य को उन्होंने एक ही शॉट में पूरा किया। उन्होंने कहा कि यह फिल्म उन्होंने सत्य घटनाओं पर बनाई जरूर है लेकिन भाषा वगैरह के स्तर पर सिनेमा के प्रभाव को बनाए रखने का प्रयास किया है। उन्होंने कहानी को वास्तविक रूप से घटने के क्रम में ही पिरोया है।

(एजेंसी)

First Published: Sunday, April 13, 2014, 17:15

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