Last Updated: Sunday, November 3, 2013, 13:53

इस्लामाबाद : प्रख्यात पाकिस्तानी लोक गायिका रेशमा का रविवार को लाहौर में निधन हो गया। रेशम सी आवाज वाली रेशमा के गाए गीत ‘दमा दम मस्त कलंदर’ और ‘लंबी जुदाई’ आज भी श्रोताओं के पसंदीदा हैं।
मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज से सरगम के सुर बिखेरने में महारत रखने वाली रेशमा गले के कैंसर से पीड़ित थीं।
राजस्थान के बीकानेर में वर्ष 1947 में एक बंजारा परिवार में जन्मी रेशमा का कई साल से इलाज चल रहा था और वह बीते करीब एक माह से कोमा में थीं।
उनके परिवार में उनका पुत्र उमैर और पुत्री खदीजा हैं। रेशमा का कबीला विभाजन के कुछ ही समय बाद कराची चला गया था। संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा रेशमा ने नहीं ली थी और वह दरगाह पर गाती थीं। ऐसे ही, शहबाज कलंदर की दरगाह पर 12 साल की नन्हीं रेशमा को गाते सुन कर एक टीवी एवं रेडियो प्रोड्यूसर ने पाकिस्तान के सरकारी रेडियो पर चर्चित गीत ‘लाल मेरी’ रेशमा से गवाने की व्यवस्था की।
यह गीत बेहद लोकप्रिय हुआ और रेशमा पाकिस्तान के लोकप्रिय लोक गायकों में शामिल हो गईं। 1960 के दशक में रेशमा का जादू सर चढ़ कर बोला और उन्होंने पाकिस्तानी तथा भारतीय फिल्म उद्योग में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
पाकिस्तानी बैंड ‘लाल’ के प्रमुख गायक शहराम अजहर ने बताया ‘‘वह अपने आप में एक संस्थान थीं और उनकी जैसी गायिका के जाने का मतलब एक युग का अवसान है। उनका जाना संगीत जगत की बहुत बड़ी क्षति है।’’
‘‘हाय ओ रब्बा नहीं लगदा दिल मेरा’’ और ‘‘अंखियां नू रहने दे अंखियों दे कोल कोल’’ जैसे गीत रेशमा की आवाज में सज मानो खुद पर इठलाते थे। उनकी आवाज में अलग ही तरह की क़शिश थी जो उनको सबसे अलग पहचान देती थी।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने उन्हें ‘‘सितारा ए इम्तियाज’’ और ‘‘लीजेंड्स ऑफ पाकिस्तान’’ सम्मान प्रदान किया था। उन्हें और भी कई राष्ट्रीय सम्मान मिले थे। लेकिन प्रसिद्धि से बेपरवाह रेशमा हमेशा परंपरागत कपड़ों में ही नजर आईं।
भारत और पाकिस्तान के कलाकार जब 1980 के दशक में एक दूसरे के यहां अपनी प्रस्तुति दे रहे थे तब रेशमा ने भारत में लाइव परफार्मेन्स दिया था। फिल्म निर्माता सुभाष घई ने उनकी आवाज को अपनी फिल्म ‘‘हीरो’’ में इस्तेमाल किया था और वह गीत ‘लंबी जुदाई’ था जिसे आज भी श्रोता पसंद करते हैं।
उन्हें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने के लिए बुलाया गया था। एक दौर ऐसा भी आया जब रेशमा आर्थिक परेशानियों में घिर गईं। तब पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और संगीत प्रेमी परवेज मुशर्रफ ने उन्हें दस लाख रुपए दिए ताकि वह अपना ऋण चुका सकें। बाद में मुशर्रफ ने रेशमा के लिए प्रति माह 10,000 रुपए की सहायता भी नियत कर दी।
रेशमा को जब 6 अप्रैल 2013 को लाहौर के डॉक्टर्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था तो नजम सेठी की अगुवाई वाली तत्कालीन कार्यवाहक सरकार ने उनके चिकित्सकीय खर्च का भुगतान करने का फैसला किया था। (एजेंसी)
First Published: Sunday, November 3, 2013, 10:20