Last Updated: Friday, October 25, 2013, 17:33
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : हिंदी सिनेमा ने अभी जूते में पांव रखा है और आने वाले समय में यह अपने विविध रूपों के साथ आगे बढ़ेगा। हिंदी सिनेमा में रचनात्मकता बढ़ी है और प्रतिभाशाली कलाकार इसे नई ऊंचाई प्रदान कर रहे हैं।
ये बातें प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एवं वरिष्ठ गीतकार गुलजार ने शुक्रवार को कहीं। गुलजार हिंदी सिनेमा के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे।
गुलजार ने कहा कि हमारे साहित्य और कला की परंपरा जहां हजारों वर्ष पुरानी है, वहीं हिंदी सिनेमा अभी 100 वर्ष का हुआ है। गुलजार ने कहा, ‘हिंदी सिनेमा ने अभी जूते में पांव रखना सीखा है, ऐसे में इसके बारे में अभी बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता। हिंदी सिनेमा अभी अपनी शुरुआती अवस्था में है।’
हिंदी सिनेमा की शुरुआत किस तरह और किन रूपों में हुई, गुलजार ने संक्षेप में उस पर भी अपने विचार रखे। गुलजार ने कहा कि कथा, लोककथाओं और पंचतंत्र की कहानियों को आधार बनाकर आगे बढ़ने वाला हिंदी सिनेमा आज बहुआयामी हो गया है। उन्होंने कहा, ‘आज हिंदी सिनेमा का क्राफ्ट काफी मजबूत पक्ष बनकर उभरा है। सिनोमेटोग्राफी की एक भाषा बन गई है।’
गुलजार ने कहा कि संगीत के क्षेत्र में बॉलीवुड में सशक्त लोग हैं जिनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान कायम हो चुकी है और उनका संगीत अंतरराष्ट्रीय स्तर का है। गुलजार ने आज के बड़े संगीतकारों में ए.आर. रहमान और शंकर एहसान लॉय का नाम लिया।
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने ‘बीड़ी जलइले’ जैसे गीतों की रचना क्यों की। इस पर गुलजार ने कहा कि उन्होंने समय के साथ चलने की कोशिश की है और इस तरह के गीतों में इन अल्फाजों का इस्तेमाल ‘फोकलोर’ है। गुलजार ने कहा कि उन्होंने ‘बीड़ी जलइले’ के साथ-साथ सादगीपूर्ण गीतों की भी रचना की है लेकिन गीतों को पसंद और नापसंद लोगों को करना है। इस मौके पर भारी संख्या में छात्र में मौजूद थे।
First Published: Friday, October 25, 2013, 17:33