Last Updated: Friday, May 2, 2014, 18:29
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : देश के विभाजन के बाद युद्ध पर कई अच्छी फिल्में बनी हैं। इस बीच शुक्रवार को प्रदर्शित हुई फिल्म `क्या दिल्ली क्या लाहौर` ने इसी क्रम को आगे बढ़ाया है। सीमा पर शत्रुता के विभिन्न भावों को हास्य पुट के साथ दर्शाती यह फिल्म दर्शकों का कई तरह से मनोरंजन करती है। अभिनेता विजय राज और मनु ऋषि ने शानदार अभिनय किया है। जोरदार अभिनय से सजी यह फिल्म अपनी कसी हुई स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले से लाजवाब बन जाती है।
फिल्म में अभिनेता के रूप में विजय राज ने अपनी काबिलियत फिर साबित की है। खास बात यह है कि विजय राज ने इस फिल्म का निर्देशन भी किया है। विजय राज ने बेहद सादगी से फिल्म का निर्देशन किया है, साथ ही फिल्म के रफ्तार में कमी नहीं आने दी है। फिल्म का अंत शानदार और बुद्धिमत्ता पूर्ण है।
फिल्म का निर्माण करण अरोड़ा ने किया है। फिल्म के प्रस्तोता गीतकार गुलजार हैं। फिल्म दोनों देशों की राजनीतिक सरगर्मी और उस रिश्ते की बात करती है, जिसे मिटाया नहीं जा सकता। खास बात यह है कि फिल्म कोई उपदेश नहीं देती। अगर आपको संजीदा और अर्थपूर्ण सिनेमा देखने का शौक है तो इस फिल्म की कसी हुई स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले आपको हिलने का मौका नहीं देंगे।
फिल्म में कई ऐसे मौके आते हैं जहां विजय राज अपने संवादों से गुदगुदाते हैं। विजय राज और मनु ऋषि के अलावा राज जुत्शी और विश्वजीत प्रधान ने भी अच्छा अभिनय किया है। संगीत और बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की कहानी के अनुरूप हैं। फिल्म में कहीं-कहीं तकनीकी खामी रह गई है लेकिन फिल्म के संवाद और अभिनय के आगे ये खामियां गौण हो जाती हैं।
कुल मिलाकर `क्या दिल्ली क्या लाहौर` हर तरीके से आपका मनोरंजन करेगी। सीधी, सपाट लेकिन रफ्तार से युक्त यह फिल्म आपको प्रभावित कर सकती है।
First Published: Friday, May 2, 2014, 16:57