मैं हिन्दी फिल्में नहीं देखता: सैफ अली खान

मैं हिन्दी फिल्में नहीं देखता: सैफ अली खान

मैं हिन्दी फिल्में नहीं देखता: सैफ अली खानमुंबई: अभिनेता सैफ अली खान ने दो दशकों से अधिक समय से हिंदी फिल्मों से अपने जुड़ाव को अपना सबसे अच्छा निवेश कहा है।

वर्ष 1992 में फिल्म `परंपरा` से बॉलीवुड में कदम रखने वाले सैफ ने एक विशेष बातचीत में कहा कि बॉलीवुड से जुड़ना मेरा सर्वश्रेष्ठ निवेश है। यह बहुत बढ़िया निवेश है। कारोबार दोगुना हो रहा है। जब हमने शुरुआत की थी तो चीजें ऐसी नहीं थीं।

`ये दिल्लगी`, `मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी`, `कच्चे धागे` और `हम साथ-साथ हैं में अभिनय कर चुके सैफ अलग-अलग तरह की भूमिकाएं निभा चुके हैं। तिग्मांशु धूलिया द्वारा निर्देशित-निर्मित फिल्म `बुलेट राजा` में एक गैंगस्टर का किरदार निभाने वाले 43 वर्षीय सैफ ने कहा कि दो या पांच साल पूर्व मैं नहीं सोचता था कि मैं ऐसी (बुलेट राजा) भूमिकाएं कर सकता हूं।

उन्होंने कहा कि अब मैं सोचता हूं कि इस किस्म की भूमिकाओं के लिए तैयार हूं। अब मैं महसूस करता हूं कि मैं अपने काम को समझ गया हूं। यह एक रोमांचक चरण है। वास्तव में, सैफ अब मानते हैं कि एक अभिनेता को व्यावसायिक फिल्मों से अलग फिल्में करनी चाहिए।

अपनी मां और दिग्गज अभिनेत्री शर्मिला टैगोर का उदाहरण देते हुए सैफ ने कहा कि अगर आप मेरी मां को देखें तो वह बॉक्स ऑफिस की स्टार थीं, लेकिन उन्होंने भी गुलजार साहब के साथ अलग-अलग फिल्में कीं। यह एक अभिनेता को आयाम देता है। इंग्लैंड में अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले इस अभिनेता ने कहा, मैं हिन्दी फिल्में नहीं देखता! मालूम नहीं क्यों। उन्होंने कहा कि मैं सिनेमा का सम्मान करता हूं लेकिन मैं हिन्दी फिल्में नहीं देखता क्योंकि अपना काम खत्म करने के बाद में इससे बचना चाहता हूं। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, November 27, 2013, 15:12

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