`मैं तेरा हीरो` (रिव्यू) : हंसी-मजाक से भरपूर फिल्म

`मैं तेरा हीरो` (रिव्यू) : हंसी-मजाक से भरपूर फिल्म

`मैं तेरा हीरो` (रिव्यू) : हंसी-मजाक से भरपूर फिल्मज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली : अपनी हास्य प्रधान फिल्मों से दर्शकों के बीच अपनी खास बना चुके निर्माता एवं निर्देशक डेविड धवन की फिल्म `मैं तेरा हीरो` शुक्रवार को रुपहले पर्दे पर अवतरित हुई। `राजा बाबू`, `हीरो नंबर 1`, `जुड़वा`, पार्टनर जैसी फिल्मों से लोगों को गुदगुदाने वाले धवन ने इस बार भी दर्शकों को निराश नहीं किया है लेकिन इस बार इस फिल्म में उनकेपसंदीदा कलाकार गोविंदा अथवा सलमान खान नहीं हैं, बल्कि डेविड धवन ने इस फिल्म में अपने बेटे वरुण धवन को पेश किया है।

`मैं तेरा हीरो` तेलुगू फिल्म `कांडिरीगा` से प्रेरित है। त्रिकोणीय प्रेम प्रसंग पर आधारित यह पूरी तरह से टिपिकल डेवड धवन की फिल्म है। फिल्म की कहानी कुछ इस तरह से है, सीलू उर्फ श्रीनाथ प्रसाद (वरुण धवन) स्टडी के लिए बेंगलुरु जाता है, तो उसे स्टेशन पर छोड़ने उसके ममी-पापा ही नहीं बहुत से लोग आते हैं। दरअसल, सीलू को लिखने पढ़ने से कुछ लेना-देना नहीं है। सीलू की आदतों से तंग आकर उसके पापा (मनोज पाहवा) उसे आगे की स्टडी के लिए बेंगलुरू भेजते है। कॉलेज पहुंचने के बाद सीलू स्टडी के आसपास तक नहीं फटकता और कॉलेज की खूबसूरत लड़की सुनयना (इलियाना) को अपना बनाने का फैसला जरूर करता है।

सीलू को नहीं मालूम शहर का गुस्सैल पुलिस इंस्पेक्टर अंगद (अरुणोदय सिंह) सुनयना पर फिदा है। कॉलेज में अंगद का ऐसा खौफ है कि कोई सुनयना की और देखने की हिम्मत तक नहीं करता। सुनयना पर भी अंगद का ऐसा खौफ है कि वह कुछ नहीं बोलती। अंगद को जब सीलू के बारे में पता चलता है तो वह अपने गुंडों से सीलू को मरवाने की कोशिश करता है लेकिन हर बार उसके गुंडे सीलू से पिटकर आते हैं। अंगद खुद सीलू को सबक सीखने का फैसला करता है।

इसी बीच, सीलू कुछ ऐसी चाल चलता है कि अंगद को पुलिस फोर्स से निकाल दिया जाता है। सीलू और सुनयना को अलग करने के मकसद से अंगद अंडरवर्ल्ड डॉन विक्रांत (अनुपम खेर) के साथ मिल जाता है। दरअसल, डॉन विक्रांत की इकलौती बेटी आयशा (नरगिस फाखरी) सीलू से इकतरफा प्यार करती है। आयशा किसी भी सूरत में अपना प्यार पाना चाहती है। डॉन विक्रांत के गुंडे सुनयना का किडनैप करके उसे विदेश ले जाते है, जहां बाद में सीलू और अंगद भी नजर आते हैं।

वरुण धवन ने इस बार गोविंदा बनने की कोशिश की है। ऐसा लगता है कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान वरुण ने अपने पापा और गोविंदा की लगभग सभी फिल्मों को बार-बार देखा और कैमरे के सामने गोविंदा बनना ही अपना मकसद रखा। वरुण के डांस स्टेप और एक्शन सीन्स अच्छे हैं लेकिन बार-बार यहीं रिपीट हुए हैं। नरगिस और इलियाना ने बस हीरो के साथ डांस करने और अपनी ब्यूटी को कैमरे के सामने परोसने का काम किया। राजपाल यादव, सौरभ शुक्ला, मनोज पाहवा ने बस अपने किरदार निभाए, वहीं गुस्सैल इंस्पेक्टर अंगद के किरदार में अरुणोदय ने बस अपना काम निभा भर दिया।

फिल्म पहले हॉफ में काफी मनोरंजन करती है लेकिन दूसरे हॉफ में मनोरंजन का तड़का थोड़ा कमजोर होने लगता है। हंसी-मजाक से भरपूर फिल्म कई जगहों पर आपको हंसाती है। धवन ने 90 की अपनी फिल्मों का प्रभाव छोड़ने की कोशिश की है। डेविड की फिल्मों में लॉजिक की कोई गुंजाइश नहीं होती और यह बात इस फिल्म पर भी लागू होती है फिल्म में कलाकारों को अपना अभिनय दिखाने का भरपूर मौका मिला है।

फिल्म का संगीत कर्णप्रिय है। `पलट तेरा हीरो इधर है` गाना सुनने में अच्छा लगता है। कई जगहों पर वरुण अपनी अदायगी और नृत्य से गोविंदा का अहसास कराते हैं। फिल्म के अन्य गाने भी कर्णप्रिय हैं लेकिन उन्हें याद नहीं रखा जा सकता।

कुल मिलाकर `मैं तेरा हीरो` को एक बार जरूर देखा जा सकता है क्योंकि डेविड धवन ने अपनी स्टाइल की छौंक पूरी फिल्म में डाली है और डेविड धवन की फिल्मों को पसंद करने वाले दर्शकों को यह मौका छोडऩा नहीं चाहिए।

First Published: Friday, April 4, 2014, 16:15

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