अलविदा कह गए महान पार्श्वगायक मन्ना डे, बेंगलुरु में हुई अंत्येष्टि

अलविदा कह गए महान पार्श्वगायक मन्ना डे, बेंगलुरु में हुई अंत्येष्टि

अलविदा कह गए महान पार्श्वगायक मन्ना डे, बेंगलुरु में हुई अंत्येष्टिबेंगलुरु : देश के महान पाश्र्वगायक मन्ना डे का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को तड़के बेंगलुरू के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। शहर के रवींद्र कलाक्षेत्र में परिवारजनों, मित्रों एवं सैकड़ों प्रशंसकों ने उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन किए और उन्हें श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मन्ना डे के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया।

नारायणा हॉस्पिटल के एक प्रवक्ता के. एस. वासुकी ने बताया, `मन्ना दा ने सुबह चार बजे अंतिम सांस ली।` मन्ना डे 94 वर्ष के थे। गुरुवार सुबह उनके पार्थिव शरीर को अस्पताल से रवींद्र कलाक्षेत्र ले जाया गया, जहां उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए बारिश के बावजूद सैकड़ों की संख्या में बच्चे एवं युवाओं सहित उनके प्रशंसक उमड़ पड़े। बाद में मन्ना डे का हिंदू धार्मिक रीति के अनुसार शहर के पश्चिमोत्तर उपनगरीय इलाके में स्थित शवदाहगृह में उनके छोटे बेटे ज्ञानरंजन ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के समय मन्ना दा को भावभीनी श्रद्धांजलि देने के लिए करीब 500 लोग मौजूद थे, जिनमें उनके मित्र, परिवारवाले एवं प्रशसंक शामिल थे।

मन्ना डे की मित्र रूना रॉय ने कहा, `अंतिम संस्कार के दौरान बैंगलोर बंगाली संघ के कुछ सदस्यों ने रवींद्रनाथ टैगोर का लिखा एक गीत गाया।` इससे पहले मन्ना डे की एक बेटी सुमिता ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा मन्ना डे का अंतिम संस्कार कोलकाता में करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। सुमिता ने ममता सरकार पर मन्ना डे के रहते किसी मामले में परिवार की मदद न करने का आरोप भी लगाया। ममता ने हालांकि बाद में सुमिता के आरोपों को खारिज किया।

कर्नाटक के राज्यपाल एच. आर. भारद्वाज और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मन्ना डे के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी शोक संवेदनाएं प्रकट कीं। बहुमुखी गायक मन्ना डे के परिवार में दो बेटियां रमा और सुमिता, दामाद और पोते-पोतियां हैं। मन्न डे की पत्नी सुलोचना का पिछले वर्ष जनवरी में कैंसर के कारण निधन हो गया था।

गुरुवार सुबह मन्ना डे की मौत का पता चलते ही उनके प्रशंसकों में निराशा फैल गई। सात दशकों तक अपनी अनोखे जादुई सुरों से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज आज हमेशा के लिए खामोश हो गई। बांग्ला समुदाय के लाखों लोग दुख की इस घड़ी में उनके परिवार और परिजनों के साथ हैं। डे बॉलीवुड संगीत का सुनहरा दौर कहे जाने वाले किशोर कुमार, मुकेश और मोहम्मद रफी जैसे कलाकारों के समकालीन थे।

मन्ना डे ने अपने सात दशकों के करियर में 3,500 से ज्यादा गाने गाए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें बंगाल विशेष महा संगीत सम्मान से सम्मानित किया था। उन्हें दो बार सर्वश्रेष्ठ गायक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी नवाजा गया था। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित किया था।

उनके गाए मशहूर गीतों में `आजा सनम मधुर चांदनी में हम`, `चुनरी संभाल गोरी`, `जिंदगी कैसी है पहेली`, `चलत मुसाफिर मोह लियो रे`, `तेरे बिन आग ये चांदनी`, `मुड़ मुड़ के न देख`, `ऐ भाई जरा देख के चलो`, `यशोमती मइया से बोले नंदलाला`, `ऐ मेरे प्यारे वतन`, `ऐ मेरी जोहरा जबीं` और `यारी है ईमान मेरा` जैसे गीत शामिल हैं। (एजेंसी)

First Published: Thursday, October 24, 2013, 23:10

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