Last Updated: Saturday, May 10, 2014, 13:33

मेलबर्न : बचपन में अपनी अभिनेत्री-निर्देशिका मां अपर्णा सेन के साथ एक बंगाली फिल्म सेट के आसपास घूमते हुए तीन साल की उम्र में अपने अभिनय कॅरियर की शुरूआत करने वाली कोंकणा सेन शर्मा का कहना है कि ‘मिस्टर एंड मिसेज अय्यर’ करने के बाद फिल्मों के साथ उनका रिश्ता ही बदल गया।
ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टीट्यूट के सत्यजीत रे स्मृति व्याख्यान में श्रोताओं के साथ अपने बॉलीवुड के सफर की कहानी साझा करते हुए सेन ने कहा कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाने वाली इस फिल्म ने उन्हें फिल्मों में अभिनय के सभी पक्ष देखने का एक मौका दिया।
इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ मेलबर्न में शिरकत कर रही कोंकणा ने कहा, मैं अभिनय को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं थी, इसलिए मेरी मां ने मुझे इस भूमिका का प्रस्ताव दिया। मेरी मां मुझे बहका लेने में माहिर हैं। उन्होंने मुझसे कहा, ‘तुम मेरी मदद करो और मेरी शोध सहायक बनो।’ मैं अय्यर लोगों पर शोध करने के लिए चेन्नई चली गई। यह बहुत मजेदार अनुभव था।
34 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा, फिल्म ‘मिस्टर एंड मिसेज अय्यर’ करने के बाद मैं दिल्ली में नौकरियां ढूंढ रही थी और तभी फिल्म को पुरस्कार मिल गए। मैंने राष्ट्रीय पुरस्कार जीत लिया और इससे मेरी जिंदगी बदल गई। अचानक लोगों को पता चल गया कि मैं अभिनय कर रही थी। तब मुझे महसूस हुआ कि मुझे अभिनय में आनंद आता है। अभिनय के साथ मेरा संबंध काफी बदला है। कई बंगाली, हिंदी और अंग्रेजी फिल्में कर चुकीं कोंकणा का कहना है कि बंगाली फिल्में उनके सगे बच्चे की तरह हैं और हिंदी फिल्में उनके सौतेले बच्चे की तरह हैं।
वर्ष 1983 में आई अपनी पहली फिल्म ‘इंदिरा’ के बारे में बताते हुए कोंकणा सेन ने कहा, उन्हें एक छोटा लड़का चाहिए था। उनके पास कोई बच्चा नहीं था। इसलिए उन्होंने मेरे बाल काटे और मुझे फिल्म में डाल दिया। यह मेरे अभिनय कॅरियर की शुरूआत थी। सेन ने कहा, मैं किसी फिल्म में लड़का बनना बेहद पसंद करूंगी। महिलाओं को पुरूषों जितनी भूमिकाएं नहीं मिलतीं। उन्हें उनके जितना पैसा भी नहीं मिलता। ये ऐसी असमानताएं हैं जो बहुत से उद्योगों में होती हैं। उन्होंने दिवंगत फिल्मकार रितुपर्णो घोष के साथ अपने रिश्ते को भी याद किया। घोष ने ‘तितली’ और ‘दोसर’ में उनका निर्देशन किया था लेकिन कोंकणा ने ‘शुभ मुहूर्त’ में काम करने से इंकार कर दिया था। सेन ने कहा, नंदिता दास ने वह फिल्म की। वह फिल्म न करना वाकई बेवकूफी थी।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, May 10, 2014, 13:24