Last Updated: Friday, January 17, 2014, 10:32
ज़ी मीडिया ब्यूरोकोलकाता: अपने संजीदा और जीवंत अभिनय के लिए मशहूर अभिनेत्री सुचित्रा सेन का निधन हो गया है। कोलकाता के अस्पताल में उनकी स्थिति कई दिनों से गंभीर बनी हुई थी और आखिरकार शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। 50 के दशक में अपने अभिनय के दम पर सबके दिलों में राज करने वाली सुचित्रा सेन कोलकाता के बेल व्यू क्लिनिक में भर्ती थी। वह लंबे वक्त से बीमार चल रही थी।
उनके पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि कल शाम से 82 वर्षीय अभिनेत्री की स्थिति गंभीर होनी शुरू हो गई थी । इसके बाद दिल का जबर्दस्त दौरा पड़ने से आज सुबह 8 बजकर 25 मिनट पर उनका निधन हो गया। सुचित्रा को श्वसन तंत्र में संक्रमण के बाद 23 दिसंबर को बेले व्यू क्लिनिक में भर्ती कराया गया था। इसके बाद फेफड़ों संबंधी बीमारी के लिए निजी गहन उपचार कक्ष में उनका इलाज किया गया ।
हिन्दी सिनेमा के दर्शकों के लिए सुचित्रा की पहचान सिर्फ सात फिल्मों से हैं। सबसे पहले बिमल राय की फिल्म देवदास (1955) में उन्होंने पार्वती (पारो) का रोल किया और फिल्म को यादगार बनाया। बिमल राय पहले इस रोल के लिए मीना कुमारी को लेना चाहते थे।
सुचित्रा की हिन्दी में दूसरी फिल्म ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी मुसाफिर (1957) है। इसमें दिलीप कुमार से भी सीनियर हीरो शेखर, सुचित्रा के नायक बने। इसके बाद चम्पाकली (1957) फिल्म में भारत भूषण के साथ सुचित्रा ने काम किया। ये दोनों कमजोर फिल्में साबित हुईं।
देव आनंद के साथ सुचित्रा की दो फिल्में हैं- बम्बई का बाबू और सरहद (1960)। लेकिन देव आनंद ने सुचित्रा के अभिनय की तारीफ फिल्म आँधी के लिए की है। दरअसल देखा जाए, तो सुचित्रा सेन की अभिनय क्षमता, बॉडी लैंग्वेज और मैनेरिज्म का सही उपयोग गुलजार साहब ने फिल्म आँधी में काम किया है। संजीव कुमार के साथ उनकी जोड़ी लाजवाब रही और हिन्दी दर्शकों के एक बड़े समूह ने पहली बार सुचित्रा के सौन्दर्य और अभिनय प्रतिभा को नजदीक से देखा, जाना और समझा।
First Published: Friday, January 17, 2014, 09:32