Last Updated: Saturday, November 2, 2013, 20:04

नई दिल्ली : दीपों के त्योहार दिवाली का मतलब दावत, आतिशबाजी और परिवार संग मौज-मस्ती करना है। लेकिन चिकित्सकों ने फेफड़े, हृदय, उच्च रक्तचाप और मधुमेह के मरीजों को इस दौरान सचेत रहने को कहा है। दिवाली के दौरान अधिक वसा वाले खाद्य प्रदार्थ जैसे मिठाइयां हृदय संबंधी दिक्कतें बढ़ा सकती हैं। साथ ही उच्च रक्तचाप और मधुमेह पीड़ित लोगों में स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में इजाफा कर सकती हैं।
मेट्रो हॉस्पिटल एंड इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष पुरुषोत्तम लाल ने बताया, "दिवाली के बाद अस्पतालों में हृदय के मरीजों और उच्च रक्तचाप, मधुमेह एवं सांस की समस्याएं लेकर आने वालों की लाइन लग जाती है, चूंकि वह दिवाली के मद्देनजर चिकित्सकों द्वारा बताई गई सावधानियों का पालन नहीं करते हैं।"
इस समय जबकि मौसम बदल रहा है, लोगों को चाहिए कि वह बदन ढककर रखें और ठंड से बचें। इसके साथ ही त्योहारी मौसम में ज्यादा खाने, पीने और धूम्रपान से बचना चाहिए।
वह कहते हैं कि दिवाली के दौरान आतिशबाजी करने से बढ़े प्रदूषण के चलते श्वास संबंधी दिक्कतें भी बढ़ जाती हैं।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में ईएनटी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार संदीप सिंधू के मुताबिक, "दिवाली के दौरान हवा में प्रसुप्त कणों का स्तर भयंकर रूप से बढ़ जाता है। यह कण सांस, आंख, गले और नाक की दिक्कतों की वजह बनते हैं। दिवाली पर पटाखे जलाने के दौरान प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।"
उन्होंने कहा कि जिन लोगों को श्वास संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें हमेशा ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे लोगों को धुएं से बचने के लिए घर में रहने की सलाह है। अस्थमा (दमा) पीड़ित की तकलीफ धुएं से बढ़ जाती है। यदि समस्या बढ़ जाए तो तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की आहारविज्ञ दीपिका अग्रवाल ने कहा, "सूखे मेवे खाना ज्यादा बढ़िया है। इन्हें खाने से जल्दी भूख नहीं लगती। लोगों को चिप्स और मिठाइयों से परहेज करना चाहिए। यह सलाह केवल स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि स्वस्थ लोगों के लिए भी श्रेयस्कर है।" (एजेंसी)
First Published: Saturday, November 2, 2013, 20:04