Last Updated: Thursday, October 10, 2013, 12:02

(10 अक्टूबर, विश्व दृष्टि दिवस)
नई दिल्ली : धूम्रपान से होने वाले नुकसान से हर कोई वाकिफ है, लेकिन शायद ही कोई जानता हो कि धूम्रपान 50 या उससे अधिक की उम्र के लोगों की आंख की रोशनी चले जाने का कारण भी बन सकता है। इसे एज रिलेटेड मैक्युलर डिजेनरेशन (एएमडी) कहते हैं, जिसके अंतर्गत रेटीना के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण आंख की रोशनी चली जाती है। नए अध्ययनों के अनुसार, धूम्रपान लोगों में दृष्टिहीनता के प्रमुख कारण के रूप में उभरी है।
नेत्र चिकित्सालय `आई क्यू रेटिना` के निदेशक दीपेंद्र वी. सिंह ने कहा कि धूम्रपान करने वाले लोगों, हृदय संबंधी बीमारियों से ग्रस्त लोगों, पराबैंगनी किरणों के प्रभाव में ज्यादा देर रहने वाले लोगों और गोरी चमड़ी वाले लोगों में एएमडी होने का खतरा सबसे अधिक होता है।
उन्होंने कहा कि चूंकि अभी तक इसका कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है, इसलिए हम लोगों को धूम्रपान छोड़ने, आंखों को पराबैंगनी किरणों से बचाने और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने की सलाह देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, विश्वभर में एएमडी, आंखों की रोशनी जाने की तीसरी सबसे बड़ी वजह है। इसके कारण पहले आंख की रोशनी कम होने लगती है, और सही ढंग से इलाज न कराने पर आंखों की रोशनी पूरी तरह स्थायी रूप से जा सकती है। इस बीमारी में रेटिना की चित्र ग्राही कोशिका नष्ट हो जाती है और ड्रसेन कहलाने वाले छोटे धब्बे विकसित हो जाते हैं। इसके कारण लोगों को धुंधला दिखाई पड़ने लगता है।
फोर्टिस मेमोरियल इंस्टीट्यूट में नेत्र रोग विभाग के निदेशक संजय धवन ने बताया कि एएमडी के उपचार के लिए आंख में विशेष टीका लगाया जाता है। इसका इलाज कैंसर की तरह कई चरणों में होता है। गंभीर मामलों में लेजर उपचार और टीके दोनों दिए जाते हैं। चिकित्सक 50 की उम्र के आस-पास के लोगों को विटामिन ए की प्रचुरता वाला भोजन, जैसे मछली और हरी सब्जियां खाने की सलाह देते हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, October 10, 2013, 12:02