...जब दंगे भड़के थे...लेकिन राजीव गांधी ने राष्ट्रपति का फोन रिसीव नहीं किया?

...जब दंगे भड़के थे...लेकिन राजीव गांधी ने राष्ट्रपति का फोन रिसीव नहीं किया?

...जब दंगे भड़के थे...लेकिन राजीव गांधी ने राष्ट्रपति का फोन रिसीव नहीं किया?ज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सिख दंगों पर दिए गए बयान के बाद यह मामला तूल पकड़ने लगा है। अब पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के तत्कालीन प्रेस सचिव ने दावा किया कि 1984 दंगों के वक्त जैल सिंह प्रधानमंत्री राजीव गांधी से हालात पर बात करना चाहते थे लेकिन राजीव ने उनका फोन ही नहीं उठाया।

गौर हो कि चंद दिन पहले राहुल गांधी ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि दिल्ली में सिखों के खिलाफ भड़के दंगों को रोकने में कांग्रेस सरकार ने जो भी संभव था किया।

जैल सिंह के प्रेस सचिव रहे त्रिलोचन सिंह ने बुधवार को सिख दंगों और वर्ष 2002 के गुजरात दंगों की तुलना करते हुए गुजरात दंगों को तत्क्षण बताया यानी ये तुरंत ही भड़के थे। उन्होंने कहा कि पुलिस ने गुजरात दंगों को रोकने की की कोशिश की जिसमें पुलिस फायरिंग में 137 लोगों की मौत हो गई जबकि दिल्ली में इस कार्रवाई में सिर्फ एक व्यक्ति की जान गई। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है।

उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी को सुबह गोली मारी गई लेकिन पहले दंगे शाम को हुए। ज्ञानीजी ने खुद यह जानकारी जुटाई की राजीव के कोलकाता से लौटने से पहले ही कांग्रेस नेताओं की एक बैठक हुई जिसमें खून का बदला खून का नारा देने की बात तय हुई। उन्होंने कहा कि अगर ये दंगे तुरंत ही भड़के होते तो सुबह ही हो जाते। उन्होंने आरोप लगाया कि दंगा रोकने की गंभीर कोशिश नहीं की गई जिससे दंगे होते रहे।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

First Published: Thursday, January 30, 2014, 11:13

comments powered by Disqus