Last Updated: Tuesday, October 15, 2013, 15:01

चेन्नई : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को आश्वासन दिया कि अगले महीने श्रीलंका में आयोजित होने वाले राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन में भारत की हिस्सेदारी पर फैसला तमिलों और डीमके की भावना सहित सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद होगा।
कामनवेल्थ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट मीटिंग (चोगम) में भारत के हिस्सा लेने के बारे में संदेह है। यह सम्मेलन अगले महीने श्रीलंका में आयोजित होगा। प्रधानमंत्री ने इस बारे में एक पत्र के माध्यम से अपना संदेश डीएमके के अध्यक्ष के.करुणानिधि को भेजा है। पत्र की एक प्रति बाद में मीडिया के लिए जारी की गई।
अपने पत्र में प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि चोगम सम्मेलन में मेरी हिस्सेदारी पर फैसला आपकी पार्टी और तमिल लोगों की भावनाओं सहित सभी मुद्दों पर विचार करने के बाद होगा। प्रधानमंत्री ने डीएमके प्रमुख से कहा कि तमिल नेशनल लिबरेशन मूवमेंट के महासचिव के. त्यागराज (त्यागू) के अनशन को खत्म कराने के लिए बेहतर प्रयास किए जाने चाहिए।
त्यागराज भूख हड़ताल पर हैं और उनकी मांग है कि मनमोहन सिंह नवंबर में होने वाले चोगम सम्मेलन में हिस्सा न लें। सोमवार को संसद में डीएमके के नेता टी.आर.बालू ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और उनको करुणानिधि और डीएमके की भावना से अवगत कराया। सभी राजनीतिक दल यहां तक कि कांग्रेस के तमिलनाडु के नेता भी मांग कर रहे हैं कि भारत को चोगम सम्मेलन का बहिष्कार करना चाहिए। श्रीलंका पर भारतीय विदेश नीति से असंतुष्ट होकर इस वर्ष मार्च में डीएमके संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) से बाहर हो गया था। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 15, 2013, 15:01