जेल का खाना खाने के बाद जमीन पर सोए सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय

जेल का खाना खाने के बाद जमीन पर सोए सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय

जेल का खाना खाने के बाद जमीन पर सोए सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय ज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा सहारा सुप्रीमो सुब्रत राय को तिहाड़ जेल भेजे जाने के बाद रॉय को जेल में कोई सहूलियत नहीं मिली। सुब्रत रॉय ने जेल का खाना खाया और देर रेत जमीन पर सोए।

गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को अगली सुनवाई तक के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस बीच अगर निवेशकों के पैसे लौटाने का कोई ठोस प्लान बताएंगे तो जमानत पर विचार किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती करते हुए बुधवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय और उनके समूह के दो निदेशकों को निवेशकों का करीब 20 हजार करोड़ रुपया लौटाने के आदेश पर अमल नहीं करने के कारण एक सप्ताह के लिये तिहाड़ जेल भेज दिया। न्यायालय ने कहा कि वे ‘विलंब करने वाले हथकंडे’ अपना रहे हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने प्रमुख सुब्रत रॉय और उनकी कंपनियों के दो निदेशकों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वे वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर्स (ओएफसीडी) द्वारा जुटाई गई राशि में से शेष 19,000 करोड़ रुपये निवेशकों को वापस करने के लिए ठोस प्रस्ताव पेश करने तक हिरासत में रहेंगे। दो कंपनियों-सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्प लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉर्प लिमिटेड ने ओएफसीडी के जरिए निवेशकों से यह राशि जुटाई थी। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 11 मार्च की तिथि निश्चित की है। सहारा ने दिसंबर 2012 को 5,120 करोड़ रुपये भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास जमा किए थे।


सुब्रत राय और दो निदेशकों अशोक राय चौधरी और रवि शंकर दूबे को न्यायिक हिरासत में रखने का निर्देश देते हुए अदालत ने कहा कि समुचित अवसर दिए जाने के बाद भी निवेशकों के पैसे वापस करने के आदेश का पालन करने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं पेश किया गया। न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहर की पीठ ने हालांकि तीसरी महिला निदेशक वंदना भार्गव को हिरासत से राहत दे दी, लेकिन कहा कि वह राय और दो निदेशकों से बातचीत कर एक ठोस प्रस्ताव पेश करेंगी। अदालत ने कहा कि इस देश के राष्ट्रीय हित और आर्थिक विकास के लिए विपणन की ईमानदारी की रक्षा अत्यधिक जरूरी है।

अदालत ने कहा कि सहारा का दावा है कि उसने निवेशकों का धन वापस कर दिया है, लेकिन सहारा की कंपनियों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से यह गलत साबित हुआ है। तीनों को हिरासत में भेजने का आदेश देते हुए न्यायालय ने कहा कि न्यायालय की अवज्ञा करने वालों को समुचित अवसर दिए गए थे, ताकि वे आदेशों का पालन करें और अवज्ञा समाप्त कर दें, लेकिन अवसर का लाभ उठाने की अपेक्षा उन्होंने इस अदालत के आदेशों के पालन में देरी करने के लिए कई उपाय अपनाए। अदालत ने कहा कि इस अदालत के आदेश का पालन नहीं करना हमारी न्यायपालिका की बुनियाद पर हमला है, जिससे कानून का शासन का सिद्धांत कमजोर होता है, जिसकी रक्षा करने और सम्मान करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। यह न्यायपालिका में लोगों की आस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

First Published: Wednesday, March 5, 2014, 10:14

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