चुनाव के बाद संप्रग-3 की सरकार बनेगी: राहुल

चुनाव के बाद संप्रग-3 की सरकार बनेगी: राहुल

चुनाव के बाद संप्रग-3 की सरकार बनेगी: राहुल नई दिल्ली : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को पार्टी को कमतर आंकने अथवा लोकसभा चुनावों में बहुत मुश्किल लक्ष्य का सामने करने के विचार को खारिज करते हुए कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद देश में कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग-3 की सरकार बनेगी।

राहुल ने माना कि 10 वर्षों के शासनकाल के बाद ‘कुछ हद तक हमारे के लिए सत्ता विरोधी माहौल है।’ लेकिन कांग्रेस की प्रचार अभियान के प्रमुख ने वित्त मंत्री पी चिदंबरम के उस विचार से असहमति जताई कि पार्टी को कमतर आंका जा रहा है और उसके सामने बहुत मुश्किल लक्ष्य है।

उन्होंने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘कांग्रेस चुनौतीपूर्ण चुनाव लड़ रही है और हम इस चुनाव में जीतेंगे।’ राहुल ने आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिलने वाली सीटों को लेकर अनुमान से इंकार करते हुए कहा, ‘मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूं, लेकिन हम अच्छा करेंगे।’ चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों को सिरे से खारिज करते हुए राहुल ने कहा कि कांग्रेस इस चुनाव में 2009 के चुनाव के मुकाबले बेहतर करेगी। 2009 में पार्टी ने 206 सीटें जीती थीं।

उन्होंने याद दिलाया कि 2004 और 2009 के चुनावों में भी कांग्रेस की हार अथवा बुरी तरह पराजय का अनुमान लगाया गया था। लोगों के साथ संवाद में सरकार और पार्टी की नाकामी के बारे में राहुल ने कहा, ‘मेरा मानना है कि हम अपनी उपलब्धियों को लोगों तक अधिक आक्रामक ढंग से पहुंचा सकते थे। जैसे कि मैंने कहा कि हमने परिवर्तनकारी कार्य किया है। हम संवाद में हमेशा बेहतर हो सकते हैं।’

कांग्रेस के सहयोगी दलों का साथ छूटने संबंधी धारणा को खारिज करते हुए राहुल ने कहा कि उनकी पार्टी का राकांपा, राजद, झामुमो, रालोद तथा नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन है, हालांकि द्रमुक एवं तृणमूल कांग्रेस अलग हो गए। यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस तृणमूल एवं द्रमुक के साथ फिर से काम कर सकती है तो राहुल ने कहा, ‘हम उन लोगों के साथ हमेशा से काम करने की इच्छा रखते हैं जिनकी विचारधारा और राजनीतिक दर्शन समान है एवं जो सांप्रदायिकता और उन सांप्रदायिक दलों के खिलाफ लड़ने को प्रतिबद्ध हैं जो अपने तुच्छ राजनीतिक फायदों के लिए भारत को विभाजित करना चाहते हैं।’

उनकी शक्तियों को बहुत अधिक आंके जाने की बात कहते हुए राहुल ने कहा कि कई मामलों में मेरे सरकार से मतभेद रहे हैं लेकिन ‘मेरी बात खारिज कर दी गयी।’ जब उनसे उसका उदाहरण देने को कहा गया तो उन्होंने कहा कि ‘एक बहुत बड़े सार्वजनिक विषय पर जिस पर मेरी बात खारिज कर दी गयी’ वह थी लोकपाल को संवैधानिक निकाय बनाने का सवाल। उन्होंने कहा, ‘पार्टी में वरिष्ठ नेताओं से मेरी राय भिन्न थी लेकिन मेरी बात खारिज कर दी गयी।’

राहुल ने एक अन्य उदाहरण दोषी ठहराए गए सांसदों को अयोग्य ठहराने के शीर्ष अदालत के फैसले पर जारी अध्यादेश वाले मामले का दिया। इस मामले में उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भिन्न रूख अपनाया था और शुरू में उन्हें खारिज कर दिया गया था। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, ‘तब मैंने अपनी राय सार्वजनिक करने का कदम उठाया।’ उनका इशारा उस संवाददाता सम्मेलन की ओर था जहां उन्होंने कहा था कि इस अध्यादेश को फाड़कर फेंक देना चाहिए। वह वहां जनता की राय व्यक्त कर रहे थे और पार्टी ने उनकी बात सुनी।

इस मुद्दे पर उनके सार्वजनिक रूप से बयान देने पर विवाद पैदा हो गया था क्योंकि उन्होंने ऐसे समय यह बयान दिया था जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेश में थे। इस विवाद पर राहुल गांधी ने कहा, ‘बाद में यह समझ में आया कि इस विषय को बेहतर ढंग से निबटाया जा सकता था।’

राहुल गांधी से उनकी उस टिप्पणी के बारे में पूछा गया जिसमें उन्होंने कहा था कि सत्ता के केन्द्रीकरण की व्यवस्था को बदलने की जरूरत है और वह इस पर ध्यान देने जा रहे हैं। प्रश्नकर्ता ने उनसे कहा, ‘आप स्वयं ही व्यवस्था की उपज हैं। आप व्यवस्था के अंदर वाले यानी उसका हिस्सा हैं और आप बाहरी की भूमिका निभाना चाहते हैं। आपके आलोचक कहते हैं कि आप दोनों ही दुनिया की अच्छी चीजों का श्रेय लेना चाहते हैं।’ गांधी ने यह कहते हुए इसका जवाब दिया कि दरअसल अभी जो महत्वपूर्ण है वह यह नहीं है कि ‘मैं कहां से हूं बल्कि किस उद्देश्य के लिए काम करना चाहता हूं। क्या अंदर वाले या हिस्सा होने-जैसा कि आपने मेरे बारे में कहा-का मतलब असहमत होने या बदलाव के लिये लडने का मेरा अधिकार खत्म हो जाता है?

उन्होंने कहा, ‘जो व्यवस्था में सुधार लाना चाहते हैं, वे अक्सर ऐसे लोग होते हैं जो उसी व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह करते हैं जिसका वे हिस्सा होते हैं। हमने युवा कांग्रेस और एनएसयूआई में चुनाव करवाये और 15 लोकसभा क्षेत्रों के लिए प्राइमरी (उम्मीदवारों के चयन के लिए) करवायी।’ कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, ‘मैं विपक्षी दलों के अपने आलोचकों से पूछना चाहता हूं कि क्या वे अपने दलों में सशिक्तकरण से संबंधित ऐसी पहल के लिए तैयार हैं। इस तरह के अंदर वाले. और बाहर वाले के खिताब का कोई मतलब नहीं है।’

संप्रग सरकार के फीके प्रदर्शन पर लोगों की निराशा से संबंधित एक सवाल पर राहुल गांधी ने जवाब दिया कि पिछले 10 सालों में संप्रग सरकार ने सबसे अधिक वृद्धिदर दी है और 15 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। उसने आरटीआई, शिक्षा का अधिकार, भोजन और रोजगार का अधिकार के माध्यम से नये तरह की परिवर्तनकारी राजनीति की शुरुआत की है।

जब राहुल गांधी को यह याद दिलाया गया कि उनकी आंतरिक लोकतंत्र की पैरवी किए जाने के बावजूद कांग्रेस कार्य समिति का लंबे समय से चुनाव नहीं हुआ तो उन्होंने ‘100 फीसदी सहमति’ जताते हुए कहा कि सीडब्ल्यूसी को निर्वाचित निकाय होना चाहिए और वह इस दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘पूरी कांग्रेस पार्टी आज मनोनीत है। हर ढांचा मनोनीत है। आपको मुख्य संस्थागत ढांचे को निर्वाचित बनाने के बिंदु तक पहुंचने के लिए नीचे के ढांचे को निर्वाचित बनाना होगा।’

कांग्रेस नेता से ‘संसद में दिलचस्पी की कमी’ के बारे में पूछा गया जहां उनकी उपस्थिति कांग्रेस सांसदों में सबसे कम है। उन्हें याद दिलाया गया, ‘आपने कोई सवाल नहीं किया, कोई गैर सरकारी विधेयक नहीं लाए और मौजूदा लोकसभा की सिर्फ दो चर्चाओं में हिस्सा लिया।’ कांग्रेस उपाध्यक्ष ने जवाब दिया कि वह संसद में भागीदारी को इस तरह नहीं देखते। सबसे पहले, संगठन महासचिव के तौर पर उन्हें पूरे देश में बहुत सारे दौरे करने पडे हैं। इससे भी ज्यादा, सामूहिक विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए वह खुद को संप्रग के सांसदों की बड़ी टीम का हिस्से के तौर पर देखते हैं।

राहुल ने कहा कि संप्रग सांसदों की टीम के सदस्य के तौर पर उन्होंने उनकी पार्टी का विधायी एजेंडा तैयार करने में हिस्सा लिया तथा भूमि अधिग्रहण विधेयक, लोकपाल विधेयक, पथ विक्रेताओं की जीविका की रक्षा के लिए विधेयक, आरटीआई, मनरेगा तथा खाद्य सुरक्षा कानून जैसे विधेयकों के लिए सार्वजनिक तौर पर लड़ाई लड़ी। कांग्रेस उपाध्यक्ष से बड़ा सवाल यह किया गया कि 15वीं लोकसभा इतिहास में सबसे खराब प्रदर्शन कराने वाली क्यों रहीं तथा विपक्ष ने संसद के एक के बाद एक सत्र को बाधित क्यों किया।

इस पर राहुल ने कहा, ‘यह दुखद तथ्य है कि विपक्षी दलों ने अपने मतदाताओं को नीचा दिखाया और संसद एवं लोगों का भारी नुकसान किया।’ यह पूछे जाने पर कि अगर कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पड़ता है तो नेता प्रतिपक्ष बनने को तैयार हैं, राहुल ने जवाब दिया, ‘मैं 2004 में सक्रिय राजनीति में आया जब कांग्रेस को खारिज कर दिया गया था। मैं उस वक्त पार्टी में नहीं आया था जब वह सत्ता में थी।’

राहुल ने कहा, ‘मैं राजनीति में आया क्योंकि मैं इस देश से बेपनाह प्यार करता हूं और इससे मुझे बहुत लगाव है। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि भविष्य का कोई चुनाव मेरी इन भावनाओं को प्रभावित कर सके। मैं यहां कुछ अच्छा करने के लिए हूं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मुझे लगता है कि मीडिया हर मोड पर मुझे कसौटी पर कसती नजर आती है। मैं अपनी खुद की सफलता और विफलता को विभिन्न मानदंडों एवं समय की जरूरत के अनुरूप आंकता हूं। अंतत: मैं खुद का आकलन इस आधार पर करूंगा कि कांग्रेस पार्टी की विकेन्द्रीकृत ढांचे के जरिए हम लोगों को कितनी भागीदारी देने में सफल हुए हैं।’ राहुल ने कहा, ‘परंतु चुनाव अभी होने हैं। हम एक कठिन लड़ाई के लिए तैयार हैं। मुझे भरोसा है कि कांग्रेस नीत संप्रग-3 सरकार बनने जा रही है।’ (एजेंसी)

First Published: Sunday, March 16, 2014, 18:51

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