प्रधानमंत्री मोदी ने 60 दिन में मांगा मंत्रियों से संपत्तियों का ब्यौरा

प्रधानमंत्री मोदी ने 60 दिन में मांगा मंत्रियों से संपत्तियों का ब्यौरा

प्रधानमंत्री मोदी ने 60 दिन में मांगा मंत्रियों से संपत्तियों का ब्यौरानई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार के सभी मंत्रियों को अपनी संपत्ति, देनदारी व किसी प्रकार के व्यावसायिक हित का ब्यौरा दो महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपना होगा।

इन मंत्रियों से एक तरह से किसी भी प्रकार के व्यवसाय से अपने को दूर रखने को कहा गया है। उन्हें कहा गया है कि जो मंत्री सरकार में अपनी नियुक्त होने से पहले किसी कारोबार के प्रबंधन या परिचालन से जुड़े थे तो उससे सभी तरह के संबंध समाप्त कर लें। ये सब निर्देश गृह मंत्रालय द्वारा मंत्रियों के लिए जारी आचार संहिता में उल्लेखित हैं। मंत्रालय ने नयी सरकार के आने के बाद आचार संहिता फिर से जारी की है।

इस संहिता के अनुपालन की निगरानी प्रधानमंत्री करेंगे। इसमें मंत्रियों से कहा गया है कि वे प्रशासनिक आधिकारियों की राजनीतिक निष्पक्षता बनाए रखे तथा किसी अधिकारी को ऐसा काम करने को न कहें जो उनके दायित्वों व जिम्मेदारियों के प्रतिकूल हो।

इसमें मंत्रियों से यह भी कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके पारिवारिक सदस्य न तो कोई ऐसा कारोबार करें न ही ऐसे कारोबार में भागीदारी करें जो कि सरकार को सेवाओं या सामान की आपूर्ति करने वाला हो। इसी तरह मंत्रियों के पति या पत्नी अथवा आश्रित को किसी दूसरे देश के मिशन में नौकरी पर पूरी तरह से रोक होगी।

मंत्री द्वारा दिए जाने वाले ब्यौरे में अचल संपत्तियों की सारी जानकारी शामिल होगी जिनमें उनकी खुद की तथा पारिवारिक सदस्यों के शेयरों व डिबेंचरों का कुल मूल्य, नकदी व आभूषण आदि शामिल है। संपत्तियों व देनदारियों के बारे में किसी वित्त विशेष के लिए हो सकता है जिसका आयकर रिटर्न पहले ही दाखिल कर दिया गया हो।

मंत्रियों के लिए जारी आचार संहिता के अनुसार उन्हें हर साल 31 अगस्त तक पिछले साल की अपनी सम्पत्ति और देनदारी का ब्योरा प्रधानमंत्री को देना होगा। मंत्री कोई कारोबार शुरू नहीं करेंगे और न ही किसी कारेाबार में शामिल नहीं होंगे। इसके अलावा वह यह भी सुनिश्चित करेंगे कि उनके परिवार के सदस्य कोई ऐसा कारोबार शुरू नहीं करेंगे या ऐसे कारोबार में भागीदारी नहीं करेंगे जिसके तहत सरकार को उत्पादों या सेवाओं की आपूर्ति की जाती हो या जो कि सरकार से लाइसेंस, परमिट, कोटे, लीज आदि पर निर्भर हो।

अगर मंत्री का कोई पारिवारिक सदस्य किसी अन्य कारोबार के प्रबंधन व परिचानल में शामिल होता है तो उसे इस मामले की जानकारी प्रधानमंत्री को देनी होगी। कोई भी मंत्री व्यक्तिगत या अपने पारिवारिक सदस्य के माध्यम से राजनीतिक, परोपकारी या किसी और उद्देश्य के लिए चंदा स्वीकार नहीं करेगा।

मंत्री को किसी पंजीबद्ध सोसायटी, परोपकारी निकाय या अन्य मान्यता प्राप्त संस्थान तथा राजनीतिक दल के लिए कोई राशि या चैक मिलता है तो वह शीघ्र से शीघ्र उसे उस संस्थान आदि तक पहुंचाएगा। इसके अनुसार मंत्री को किसी पंजीबद्ध सोसायटी, परोपकारी निकाय या अन्य मान्यता प्राप्त संस्थान तथा राजनीतिक दल के लाभ के अलावा किसी ओर के लिए धन जुटाने की गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए। मंत्री को यह सुनिश्चित करना होगा किया इस तरह का चंदा या योगदान उस सोसायटी या संस्थान के पदाधिकारी तक पहुंच जाए जिसके लिए वह दिया गया है।

कोई मंत्री सरकार को अपनी अचल सम्पत्ति बेचने या सरकार से सम्पत्ति खरीदने का कार्य नहीं करेगा। केवल ऐसे मामले में इसकी छूट होगी जहां सरकार द्वारा सामान्य तरीके से सम्पत्ति का अनिवार्य अधिग्रहण किया जा रहा हो।

आचार संहिता के अनुसार केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राज्य सरकार व केंद्र शासित प्रदेशों के अन्य मंत्रियों को प्रधानमंत्री की मंजूरी के बिना अपनी पत्नी, पति या आश्रित को भारत या विदेश में किसी दूसरे देश की सरकार की नौकरी करने की अनुमति नहीं देनी होगी। न ही वे किसी विदेशी संगठन में काम करने चाहिए। अगर किसी मंत्री की पत्नी-पति या आश्रित पहले से ही इस तरह की नौकरी में है तो यह मामला प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाया जाना चाहिए। वे तय करेंगे कि संबंधित व्यक्ति उस काम पर रह सकता है या नहीं। एक सामान्य नियम के अनुसार विदेशी मिशनों में काम करने पर पूरी तरह से रोक रहेगी।

इसी तरह मंत्री या उसके पारिवारिक सदस्यों को महंगे उपहार स्वीकार करने में भी सावधानी बरतनी होगी। कोई मंत्री किसी से कोई महंगा उपहार स्वीकार नहीं करेगा। मंत्री या उसके संबंधियों को किसी ऐसे व्यक्ति से उपहार स्वीकार नहीं करना चाहिए जिसका मंत्री से कोई सरकारी काम हो। इसी तरह कोई मंत्री अपने किसी परिजन को किसी ऐसे व्यक्ति से ऋण इस तरह का कोई समझौता करने की अनुमति नहीं देगा जिससे उसे उस व्यक्ति के साथ अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान कोई उलझन हो या उससे उसका निर्णय प्रभावित होने की संभावना हो।

यदि उपहार 5,000 तक का है तो मंत्री उसे रख सकता है पर यदि उसके मूल्य को लेकर कोई आशंका है तो वह मामला तोशाखाना को मूल्यांकन के लिए भेजा जाना चाहिए। इससे महंगे उपहार को राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवासर या राज भवन में जमा कराना होगा। (एजेंसी)


First Published: Tuesday, June 10, 2014, 17:23

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