Last Updated: Friday, April 25, 2014, 15:31
लखनऊ : केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री के. रहमान खान ने शुक्रवार को कांग्रेस पर मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक दुर्दशा को बयान करने वाली सच्चर समिति की सिफारिशों को लागू नहीं करने के आरोपों को गलत बताते हुए आरोप लगाया कि राज्य सरकारों की लापरवाही के कारण इससे जुड़ी योजनाएं पात्र लोगों तक नहीं पहुंच सकीं।
खान ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि हम पर सच्चर समिति की सिफारिशें लागू नहीं करने का आरोप लगाया जाता है लेकिन यह गलत है। हमने उसकी 72 में से 69 सिफारिशों को मंजूर करके उनमें से 66 को लागू भी कर दिया है। उन्होंने राज्य सरकारों को कठघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि इन सरकारों की लापरवाही के कारण ही सच्चर समिति की सिफारिशों के आधार पर लागू कार्यक्रमों का फायदा पात्र मुसलमानों को नहीं मिल पाया।
खान ने कहा कि समिति की रिपोर्ट के बाद ही अलग से अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय गठित किया गया और अल्पसंख्यकों का विकास पहली बार योजनाओं का हिस्सा बना। सरकार ने पहली बार 11वीं पंचवर्षीय योजना में अकलियतों की उन्नति के लिये सात हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया और 12वीं पंचवर्षीय योजना में इसे बढ़ाकर 17 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया।
खान ने एक सवाल पर कहा कि पिछड़े मुसलमानों को अन्य पिछड़ा वर्ग के कोटे से आरक्षण देने की बात करना तुष्टीकरण नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक खेल या तुष्टीकरण नहीं है। हमने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में इसका वादा किया था। हमने कर्नाटक आरक्षण माडल लागू करने की बात कही थी। यह बात अलग है कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया। अब यह मामला उच्चतम न्यायालय में है। (एजेंसी)
First Published: Friday, April 25, 2014, 15:31