धारा-370 भारतीय नागरिकों के दमन और भेदभाव का साधन :जेटली

धारा-370 भारतीय नागरिकों के दमन और भेदभाव का साधन :जेटली

धारा-370 भारतीय नागरिकों के दमन और भेदभाव का साधन :जेटलीनई दिल्ली : भाजपा नेता अरूण जेटली ने कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 का धर्मनिरपेक्षता से कुछ लेना देना नहीं है, बल्कि यह भारतीय नागरिकों के विरूद्ध दमन और भेदभाव का साधन बन सकता है।

जेटली ने कहा कि अनुच्छेद 370 केवल जम्मू कश्मीर राज्य के संबंध में विशेष प्रावधान करता है। यह अस्थायी प्रावधान है। यह केन्द्र और राज्य के बीच शक्ति के बंटवारे को लेकर है। जम्मू कश्मीर के संदर्भ में केन्द्र की सूची (शक्ति) छोटी है। अधिकतर शक्तियां राज्य विधायिका के पास हैं। अगर केन्द्र से राज्य को किसी शक्ति का हस्तांतरण करना है तो उसके लिए राज्य की सहमति जरूरी होगी।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने फेसबुक पर बुधवार को पोस्ट किए गए अपने इस लेख में कहा कि 1947 में (देश के बंटवारे के समय) लाखों लोग भारत आए। जो लोग भारत के अन्य हिस्सों में बसे उन्हें सारी संवैधानिक गारंटियां उपलब्ध हैं। वे संविधान में दिए गए सभी मौलिक अधिकारों के पात्र हैं। दुर्भाग्यवश जो लोग जम्मू कश्मीर में जा बसे उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की गई। वे राष्ट्रीय (लोकसभा) चुनावों में भी हिस्सा ले सकते हैं। वे भारत में कहीं भी संपत्ति ले सकते हैं। लेकिन जम्मू कश्मीर ने अनुच्छेद 6 के चलते उन्हें राज्य की नागरिकता प्रदान नहीं की है।

उन्होंने कहा कि ऐसा करके भारत के नागरिक के तौर पर उनके साथ भेदभाव किया गया है। वे राज्य के विधानसभा, नगर निगम या पंचायत के चुनावों में ना तो चुनाव लड़ सकते हैं और ना ही मतदान कर सकते हैं। वे राज्य में रोजगार नहीं पा सकते। वे वहां संपत्ति नहीं ले सकते। उनके बच्चे राज्य के नागरिक के रूप में कालेजों में दाखिला नहीं पा सकते। उनके होनहार बच्चे राज्य में कोई वजीफा या अन्य सहायता भी नहीं पा सकते हैं। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, December 4, 2013, 16:57

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