Last Updated: Tuesday, December 3, 2013, 11:12
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली: कश्मीर और कश्मीरियों के विकास में अनुच्छेद 370 की उपयोगिता पर नरेंद्र मोदी के सवाल और बहस की अपील ने सियासत को गरमा दिया है। बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की ओर से छेड़ी गई इस बहस को कांग्रेस के साथ ही नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने जहां सिरे से खारिज कर दिया है, वहीं भाजपा मोदी के पीछे खड़े हो गई है।
इस मसले पर मोदी की बात को काटते हुए पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जम्मू कश्मीर की निर्वाचक विधानसभा की सहमति के बगैर धारा 370 को निष्प्रभावी नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि यह कोई बाबरी मस्जिद नहीं है जिसे ढहा दिया जाए। मुफ्ती ने कहा कि अगर इसे खत्म किया गया तो भारत में जम्मू कश्मीर का विलय अपने आप बेकार हो जाएगा। महबूबा ने कहा कि मोदी को धारा 370 के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।
दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि मोदी अगर 10 बार प्रधानमंत्री बन जाएं तो भी धारा 370 को नहीं हटा सकते। मोदी अपनी मर्जी से बोलते हैं। भाजपा ने इस संबंध में अभी तक चर्चा नहीं की है। वह जिन चर्चाओं की बात कर रहे हैं वह सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए कहा जा रहा है।
सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने संविधान के अनुच्छेद 370 पर नरम रुख को नकारते हुए आरोप लगाया कि इसी के सहारे कुछ लोग अभी भी भारत से `आजादी` जैसी भावनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने रविवार को जम्मू की रैली में यह कहकर पार्टी के अंदर और बाहर बहस छेड़ दी थी कि अनुच्छेद 370 पर चर्चा होनी चाहिए कि यह जम्मू-कश्मीर की आम जनता के लिए कितना फायदेमंद रहा।
बीजेपी अनुच्छेद 370 को किसी भी शर्त पर समझौते का मुद्दा नहीं मानती। ऐसे में मोदी की ओर से बहस की अपील ने कुछ नरमी का शुरुआती संकेत भले ही दिया हो, लेकिन कांग्रेस समेत दूसरे दलों ने इसे खारिज कर दिया है।
First Published: Tuesday, December 3, 2013, 10:27