Last Updated: Thursday, December 5, 2013, 22:47

नई दिल्ली : सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे राजनीति में उतरे आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और अपने पूर्व सहयोगी अरविंद केजरीवाल के प्रति अपनी नाराजगी गुरुवार को छिपा नहीं सके। अन्ना ने पिछले वर्ष राजनीतिक दल गठित करने के केजरीवाल फैसले का विरोध कर उनके साथ संबंध तोड़ लिया था।
अन्ना ने केजरीवाल के सहयोग से वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले दिल्ली में आंदोलन शुरू किया था। रामलीला मैदान में 13 दिनों के उनके अनशन का असर समूचे देश पर पड़ा था। अन्ना ने कहा कि यदि टीम एकजुट रहती तो तस्वीर कुछ और ही होती।
यहां आयोजित एक कार्यक्रम में हजारे ने कहा कि जब आंदोलन संक्रांति के दौर में था तब राजनीतिक दल का रास्ता अख्तियार करना सही नहीं था। उन्होंने कहा कि यदि हमारी टीम मजबूत और एकजुट रहती तो देश की तस्वीर इस समय भिन्न होती। सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार में अपने नाम का इस्तेमाल किए जाने के खिलाफ उन्होंने केजरीवाल को पत्र लिखा था।
अन्ना ने कहा कि वह 10 दिसंबर से भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की फिर से शुरुआत करेंगे। उन्होंने कहा कि लोकपाल विधेयक को पारित कराने की मांग के समर्थन में वह छह राज्यों का दौरा कर चुके हैं। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान 2011 में चंदा जमा किए जाने को लेकर अदालत में दायर याचिका के बारे में पूछे जाने पर अन्ना ने कहा कि उन्होंने अदालत से कहा है कि रुपये का उनके जीवन में कोई महत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे पास कोई बैंक बैलेंस नहीं है। किसने पैसे जमा किए और किसने उसका इस्तेमाल किया, मैं नहीं जानता।
अन्ना हजारे ने फिर अपने पुराने साथी अरविंद केजरीवाल पर हमला बोलते हुए उन्हें जन लोकपाल विधेयक आंदोलन के दौरान एकत्र किए गए धन का ‘दुरूपयोग’ करने के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यदि उनसे लेखा जोखा मांगा गया तो वह इस पूरे प्रकरण की जांच की मांग करेंगे। जनलोकपाल आंदोलन के दौरान एकत्र किए गए तीन करोड़ रूपये का दुरूपयोग किए जाने के आरोपों पर प्रतिक्रिया जताते हुए हजारे ने कहा कि अभी तक मैंने पांच रूपये तक को हाथ नहीं लगाया है, इसलिए उसका लेखाजोखा रखने का सवाल कहां है ? मैं एक फकीर हूं । यदि अदालत मुझसे पूछती है कि पैसा कहां गया तो मैं अदालत से कहूंगा कि वह मामले की जांच कराए। इस संबंध में एक जनहित याचिका उच्चतम न्यायालय में लंबित है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, December 5, 2013, 21:01