बारू की पुस्तक से ‘कमजोर पीएम’ की धारणा की औपचारिक पुष्टि हुई: भाजपा

बारू की पुस्तक से ‘कमजोर पीएम’ की धारणा की औपचारिक पुष्टि हुई: भाजपा

बारू की पुस्तक से ‘कमजोर पीएम’ की धारणा की औपचारिक पुष्टि हुई: भाजपानई दिल्ली : भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक पूर्व सहयोगी की पुस्तक को लेकर सिंह पर तथा सत्तारूढ़ कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि यह दुनिया के सामने पहले से मौजूद इस तथ्य की पुष्टि है कि सिंह कमजोर प्रधानमंत्री हैं और सरकारी मामलों में अंतिम स्वीकृति सोनिया गांधी की होती थी।

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भाजपा के इस आरोप को आगे बढ़ाते हुए कहा कि उन्होंने 2009 में अपने प्रचार के दौरान सिंह को अब तक का सबसे कमजोर प्रधानमंत्री कहा था और संजय बारू की लिखी किताब उस बात की पुष्टि करती है जो दुनिया पहले से जानती है।

आडवाणी ने अहमदाबाद में संवाददाताओं से कहा, जो उन्होंने (बारू ने) कहा है कि वह दुनिया पहले से जानती है लेकिन किताब इस बात की आधिकारिक पुष्टि है। जब मैंने पहली बार कहा था कि हमारे सभी प्रधानमंत्रियों में वह (सिंह) सबसे कमजोर हैं, उसके बाद मेरे अपने ही सहयोगियों ने कहा था कि वह अच्छे व्यक्ति हैं और उनकी इतनी निंदा क्यों की जाए। मैंने कहा था कि मुझे अफसोस है और उनके लिए सहानुभूति रखता हूं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरण जेटली ने संप्रग सरकार और पुराने कम्युनिस्ट राष्ट्रों को समान बताते हुए कहा कि सोनिया गांधी कम्युनिस्ट पार्टी की महासचिव की तरह लगती हैं जिनका फैसला ही अंतिम माना जाता था, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नहीं।

उन्होंने पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि देश को प्रधानमंत्री के बारे में जो संदेह था कि उन्हें अपने अधिकतर फैसलों के लिए कांग्रेस अध्यक्ष की मंजूरी लेनी होती थी, इसकी पुष्टि यह किताब करती है।

जेटली ने अपने ब्लॉग पर लिखा, क्या हर विषय पर उनका :प्रधानमंत्री का: निर्णय अंतिम होता था? या यह मूल कम्युनिस्ट राष्ट्रों की सी व्यवस्था है जहां महासचिव हमेशा सरकार के प्रमुख से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा, संप्रग सरकार में बौने साबित हुए अनेक संस्थानों में सबसे मुख्य था प्रधानमंत्री का अपना पद। जेटली ने कहा, प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति 10 जनपथ से होती थी। कोयला ब्लॉक आवंटन जैसे इस तरह के आवंटन पार्टी ने किये। उन्होंने आरोप लगाया, सभी संवेदनशील विषयों पर सरकार के बाहर की एक शख्सियत से चर्चा करनी होती है। सिंह पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का पद कोई रोजगार नहीं बल्कि जन सेवा है।

उन्होंने कहा, डॉ मनमोहन सिंह को पद छोड़ने की पूर्वसंध्या पर गंभीरता से आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि उनके कार्यकाल का प्रधानमंत्री की संस्था पर कैसा असर हुआ। बारू की किताब ‘ए एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर : द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ में लिखा है कि संप्रग के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट और प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रमुख नियुक्तियों पर फैसला सोनिया गांधी करती थीं। (एजेंसी)

First Published: Sunday, April 13, 2014, 15:40

comments powered by Disqus