लोकपाल चयन पैनल से नाखुश राष्ट्रपति से मिलेंगी सुषमा

लोकपाल चयन पैनल से नाखुश राष्ट्रपति से मिलेंगी सुषमा

नई दिल्ली : देश के पहले लोकपाल के चयन पैनल का गठन सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी का एक और मुद्दा बन गया है। भाजपा ने प्रधानमंत्री के उस प्रस्ताव का विरोध किया है, जिसमें उन्होंने वरिष्ठ वकील पी पी राव को इसका पांचवां सदस्य बनाने का प्रस्ताव दिया है और वह इस मामले में राष्ट्रपति का हस्तक्षेप चाह रही है।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज चाहती हैं कि पैनल के पांचवें सदस्य की नियुक्ति आम सहमति से होनी चाहिए और इस उद्देश्य से राष्ट्रपति प्रणब मुखजी से हस्तक्षेप के लिए उन्होंने उनसे मुलाकात का समय मांगा है।

सूत्रों ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने लोकपाल पैनल में प्रतिष्ठित विधिवेत्ता श्रेणी के तहत सरकार द्वारा नामित राव का समर्थन करने से इंकार कर दिया और सोमवार रात हुई बैठक में उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराया।

उन्होंने कहा कि पैनल का पांचवा सदस्य चुनने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास पर हुई बैठक में सुषमा की राय नहीं मानी गई क्योंकि सरकार के नामित व्यक्ति के पक्ष में तीन वोट थे। बताया जाता है कि नेता प्रतिपक्ष ने राव को ‘कांग्रेस का वफादार’ बताते हुए उनके नाम का जोरदार विरोध किया और पूर्व अटॉर्नी जनरल के. परासरण का नाम प्रस्तावित किया।

सूत्रों के मुताबिक, सुषमा ने मांग रखी कि पैनल ‘ऐसे लोगों से मुक्त’ होना चाहिए जो किसी पार्टी के वफादार हों और इसमें ‘गैर राजनीतिक लोग’ होने चाहिए। इसे एक ‘बंधक संस्था’ नहीं बनाया जाना चाहिए। उनके करीबी सूत्रों ने कहा कि स्वराज ने कहा कि चूंकि देश 40 साल के इंतजार के बाद पहली बार भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल नियुक्त करने जा रहा है, इसलिए नियुक्तियों पर सर्वसम्मति होनी चाहिए।

ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने प्रमुख पैनल के लिए प्रतिष्ठित विधिवेत्ता फली नरीमन और हरीश साल्वे के नामों का प्रस्ताव दिया और उन्होंने यह भी कहा कि फैसले पर सर्वसम्मति बनाने के लिए एक और बैठक आयोजित की जा सकती है और वहां नए नामों की सूची पर गौर किया जा सकता है।

पर सूत्रों ने कहा कि उनके विरोध के बावजूद चयन समिति के तीन अन्य सदस्यों- प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एच एल दत्तू ने राव की सदस्यता के प्रस्ताव को अपनी सहमति दी। पैनल के सदस्य भारत के प्रधान न्यायाधीश पी. सदाशिवम स्वयं नहीं आ सके और उन्होंने अपनी जगह न्यायमूर्ति दत्तू को नामांकित किया था। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, February 4, 2014, 18:30

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