Last Updated: Thursday, December 12, 2013, 19:19

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को कहा कि वह बिना किसी बहस के लोकपाल विधेयक को संसद में पारित करने के लिए तैयार है। लेकिन सवाल यह है कि सरकार भ्रष्टाचार विरोधी इस कानून को पारित कराने को लेकर कितनी गंभीर है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि हम लोकपाल विधेयक पर और अधिक बहस नहीं चाहते हैं। इसे राज्यसभा में और फिर लोकसभा में पारित कीजिए।
उन्होंने मांग की कि विधेयक के उसी स्वरूप को पारित किया जाना चाहिए जो राज्यसभा की प्रवर समिति द्वारा संशोधित किया गया है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल को विधेयक में संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं है। यह राज्यसभा का अधिकार है। विधेयक का वही स्वरूप आना चाहिए जैसा राज्यसभा की प्रवर समिति ने संशोधित किया है।
केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने इससे पहले गुरुवार को कहा कि प्रवर समिति द्वारा सुझाए गए 13 संशोधनों पर मंत्रिमंडल विचार कर रहा है। जेटली ने कहा कि समिति ने 15 संशोधनों का सुझाव दिया था जिसमें से दो सबसे महत्वपूर्ण सुझावों को छोड़ दिया गया।
उन्होंने कहा कि इनमें से एक सुझाव केंद्रीय जांच ब्यूरो की स्वायत्तता से संबंधित था। इसमें कहा गया था कि किसी भी केस से सीबीआई अधिकारी के तबादले से पहले लोकपाल की मंजूरी की जरूरत होगी। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार लोकपाल विधेयक को पारित कराने को लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने उनको अगले सप्ताह संसदीय सत्र के अंत के बारे में चर्चा करने को बुलाया था।
स्वराज ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने वित्तीय कार्यो को शुक्रवार को निपटाने के बाद अगले हफ्ते सत्र के अंत की चर्चा की लेकिन मैंने इसका विरोध किया। स्वराज ने कहा कि मैंने उनसे लोकपाल विधेयक को पारित कराने का आग्रह किया क्योंकि यह सरकार के कार्यकाल का आखिरी संसद सत्र है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, December 12, 2013, 19:19