Last Updated: Wednesday, February 19, 2014, 23:08
रांची : झारखंड में नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों में राजनीति के प्रति रूझान बढ़ता दिखाई दे रहा है। राजनीति में अपनी पारी खेलने के लिए पिछले कुछ महीनों में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के कई अधिकारी नौकरी को अलविदा कह चुके हैं। मुख्य सचिव स्तर के एक अधिकारी विमलकीर्ति सिंह ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन दिया है। विमलकीर्ति सिह के नजदीकी सूत्रों की मानें तो वे अपने गृह जिला बिहार के सिवान से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं।
सिंह ने अबतक राजनीति से जुड़ने की बात न तो स्वीकार की है और न ही इनकार किया है। उन्होंने कहा, "मेरे पास लोकसभा चुनाव लड़ने का विकल्प खुला है। अभी तक मैंने पार्टी और क्षेत्र के बारे में फैसला नहीं लिया है। मैं यह साफ करता हूं कि मैं झारखंड से चुनाव लड़ूंगा।" अधिकारी ने कहा, "मैं एक वकील हूं और दिल्ली में लॉ फॉर्म खोलूंगा।"
पुलिस में महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी अरुण उरांव ने भी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन दिया है। उरांव पंजाब काडर के अधिकारी हैं और वे यहां पांच वर्ष के लिए पदस्थापन पर आए हुए हैं। उनकी पत्नी गीताश्री उरांव झारखंड की शिक्षा मंत्री हैं। उरांव के पिता बंडी उरांव भी आईपीएस अधिकारी थे और बाद में विधायक बने थे।
ओरांव के नजदीकी सूत्रों की मानें तो वे भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी के रूप में लोहरदगा से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ चक्रवर्ती ने पिछले साल चुनाव लड़ने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। वे फिलहाल झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। वे रांची से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। झारखंड में नौकरशाहों का नौकरी छोड़कर चुनाव में आना कोई नई बात नहीं है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा भी आईएएस अधिकारी थे। अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के आईपीएएस अधिकारी रामेश्वर उरांव ने भी 2004 लोकसभा चुनाव के पहले नौकरी छोड़ी थी। कांग्रेस के टिकट पर वो लोहरदगा सीट से जीते और बाद में मंत्री भी बने। एक और सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक वी. डी. राम भाजपा में शामिल हुए हैं और वे विधानसभा का चुनाव कांके विधानसभा क्षेत्र से लड़ सकते हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 19, 2014, 23:08