केंद्र ने SC से कहा- पूर्व CJI के खिलाफ आपत्तिजनक साक्ष्य नहीं

केंद्र ने SC से कहा- पूर्व CJI के खिलाफ आपत्तिजनक साक्ष्य नहीं

नई दिल्ली : केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति के जी बालाकृष्णन और उनके रिश्तेदारों द्वारा आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपों की जांच में आय कर विभाग को कोई भी आपत्तिजनक साक्ष्य नहीं मिला है।

सरकार ने यह भी कहा है कि प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति बालाकृष्णन का आचरण राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कानून के तहत उन्हें आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने का आधार नहीं हो सकता है और कदाचार साबित हुये बगैर ही इसके प्रावधान लागू नहीं किये जा सकते हैं। सरकार का तर्क है कि सिर्फ आरोप मामले को शीर्ष अदालत के पास भेजना के लिये अपर्याप्त है।

बालाकृष्णन और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ आरोपों की जांच के बारे में अप्रैल 2012 में वित्त मंत्रालय और केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के पूरक स्थिति नोट का जिक्र करते हुये गृह मंत्रालय ने कहा है कि तफतीश के दौरान जुटाये गये सबूतों के आधार पर यह सिद्ध नहीं हो सका है कि ये बालकृष्णन की बेनामी संपत्तियां थीं।

गृह मंत्रालय ने न्यायालय में दाखिल हलफनामे में कहा है कि संबंधित अदालत में लंबित किसी मुकदमे के सिलसिले में कोई भुगतान के बारे में कोई तथ्य नहीं मिले हैं।

मंत्रालय के अनुसार बालकृष्णन का मामला न्यायमूर्ति सौमित्र सेन के मामले से भिन्न है क्योंकि न्यामयूर्ति सेन के खिलाफ आरोप उनके वकील होने के समय के थे और उनका कदाचार न्यायाधीश बनने के बाद भी जारी रहा था।

हलफनामे के अनुसार न्यायमूर्ति सेन और बालाकृष्णन के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती है क्योंकि बालाकृष्णन कोई न्यायिक पद पर नहीं हैं। (एजेंसी)

First Published: Saturday, October 12, 2013, 18:33

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