Last Updated: Wednesday, February 19, 2014, 18:15

नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि वह यह नहीं कह सकते कि वह राजीव गांधी हत्याकांड के तीन दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील किए जाने पर नाखुश हैं लेकिन अब भी राजीव गांधी की नृशंस हत्या को लेकर गहरा दुख है।
उन्होंने कहा कि दुख हमेशा रहेगा। उच्चतम न्यायालय ने उन्हें :दोषियों को: बेगुनाह नहीं कहा है। यह मुख्य बात है। चिदंबरम ने मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा देरी को वजह बताने का जिक्र करते हुए कहा कि दया याचिका 2000 में सरकार के पास पहुंची थी जब राजग सत्ता में था। करीब चार साल तक उन्होंने इस मामले को नहीं निपटाया। सबसे पहली बार 2005 में इस पर विचार किया गया और राष्ट्रपति को भेजा गया जहां यह पांच साल तक लटका रहा।
उन्होंने कहा कि जब मैं गृह मंत्री बना तो सभी लंबित दया याचिकाएं लौटीं और मुझे उन्हें एक एक करके निपटाना था। इसलिए यह कहना कि केवल देरी होने का मतलब है कि सजा को उम्रकैद में बदला जा सकता है, यह कानून संबंधी गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। मुझे लगता है कि हमें इस बात के औचित्य का अध्ययन करना होगा। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 19, 2014, 18:15