दवाओं का क्लीनिकल ट्रॉयल हमारे लाभ के लिये हो: SC

दवाओं का क्लीनिकल ट्रॉयल हमारे लाभ के लिये हो: SC

दवाओं का क्लीनिकल ट्रॉयल हमारे लाभ के लिये हो: SCनई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि देश में दवाओं का क्लीनिकल परीक्षण यहां के लोगों की मदद के लिये होना चाहिए और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लाभ के लिये यह नहीं किये जाने चाहिए। न्यायालय ने कहा कि केन्द्र द्वारा निर्धारित पैमाना लोगों के अधिकारों का संरक्षण करने में ‘अपर्याप्त’ है।

न्यायालय ने कहा कि जिन व्यक्तियों पर नयी दवाओं का परीक्षण किया जाना है उनकी सहमति लिये बगैर इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। न्यायालय ने पांच दवाओं के बारे में अनुमति प्रदान की है लेकिन 157 अन्य दवाओं के बारे में कोई आदेश देने से इंकार कर दिया। इन दवाओं के परीक्षण की केन्द्र ने अनुमति दी थी।

न्यायमूर्ति आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि ये मानदंड यह सुनिश्चित करने में अक्षम है कि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हो। आपको संतुलित नजरिया अपनाना चाहिए और आप एकतरफा दृष्टिकोण नहीं अपना सकते । परीक्षण विश्वसनीय होने चाहिए। यहां होने वाले क्लीनिकल परीक्षण हमारे लिये उपयोगी होने चाहिए और यह दूसरों के लाभ के लिये नहीं होने चाहिए। न्यायालय ने आदेश दिया कि केन्द्र द्वारा गठित तकनीकी और शीर्ष समितियों को 157 दवाओं के क्लीनिकल परीक्षण को हरी झंडी देनी चाहिए।

न्यायालय ने डा. आनंद राय और गैर सरकारी संगठन स्वास्थ्य अधिकार मंच की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि देश में बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां बड़े पैमाने पर क्लीनिकल परीक्षण कर रही हैं और इन परीक्षणों में भारतीय नागरिकों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। न्यायालय ने इन समितियों को निर्देश दिया कि औषधियों के क्लीनिकल परीक्षण के आवेदनों का आकलन करके इसके परीक्षण के जोखिम और लाभ का मूल्यांकन करके कोई निर्णय किया जाये।

न्यायालय ने कहा कि सरकार को क्लीनिकल परीक्षणों के मामलों की जांच के लिये निरीक्षकों के एक दल की नियुक्ति करनी चाहिए। अतिरिक्त सालिसीटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि केन्द्र सरकार इसके लिये सुव्यवस्थित तंत्र स्थापित करने के लिये कृतसंकल्प है और इसके लिये कानून में संशोधन करना होगा जो विचाराधीन है। (एजेंसी)



First Published: Monday, October 21, 2013, 18:32

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