Last Updated: Monday, October 21, 2013, 18:49

नई दिल्ली : कोयला खदानों के आवंटन निरस्त करने के लिये जनहित याचिका दायर करने वाले एक वकील ने उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दायर कर अनुरोध किया कि प्रधानमंत्री को उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिये हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाये।
वकील मनोहर लाल शर्मा ने कोयला खदान आवंटन प्रकरण में पहले दायर याचिका में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बतौर प्रतिवादी नामित किया था। इस मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो की जांच की निगरानी शीर्ष अदालत कर रही है।
शर्मा ने पूर्व कोयला सचिव पारेख के इस बयान के आलोक में एक अर्जी दायर की थी कि प्रधानमंत्री जानते थे कि कोयला खदानें हिन्डालको जैसी कंपनियों को आवंटित की जा रही हैं और इसलिए उन्हें भी ‘साजिशकर्ता’ के रूप में नामित करके ‘आरोपी’ बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिंह को इस मामले में अपनी स्थिति साफ करनी चाहिए।
इस अर्जी के साथ अतिरिक्ल हलफनामा दाखिल करने वाले शर्मा ने कहा है कि कोयला खदानों के आवंटन का प्रकरण सामने आने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री ने एक आवंटन के बारे में सफाई दी है।
अर्जी में कहा गया है कि लेकिन 150 से अधिक कोयला खदानों का आवंटन हुआ है, इसलिए क्या वह सभी के बारे में स्पष्टीकरण देंगे? उन्होंने कहा कि इस स्थिति में प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर उनके बयान में यह स्वीकरोक्ति है कि तत्कालीन कोयला मंत्री ने कोयला खदान आवंटित की और उन्होंने उनके समक्ष पेश दस्तावेज तथा तथ्यों के आधार पर निर्णय किया।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने 19 अक्तूबर को इस निर्णय को ‘उचित’ बताते हुये इसका बचाव किया था और कहा था कि प्रधानमंत्री ने उनके समक्ष पेश मामले में ‘योग्यता’ के आधार पर मंजूरी दी थी। (एजेंसी)
First Published: Monday, October 21, 2013, 18:49