साम्प्रदायिक हिंसा निरोधक विधेयक निदंनीय विधान : भाजपा

साम्प्रदायिक हिंसा निरोधक विधेयक निदंनीय विधान : भाजपा

नई दिल्ली : साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निरोधक विधेयक को स्वतंत्र भारत का सबसे निदंनीय विधान करार देते हुए भाजपा ने शनिवार को कहा कि अगर यह बन गया होता तो इससे मुजफ्फरनगर दंगों के लिए बहुसंख्यक समुदाय के लोग दंडित होंगे।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा, ‘राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की ओर से तैयार साल 2011 के मसौदे के बारे में मुझे किसी तरह का संदेह नहीं है कि यह स्वतंत्र भारत का सबसे निदंनीय विधान है।’ विवादास्पद विधेयक को बांटने वाला और भेदभावपूर्ण करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘मिसाल के तौर पर मुजफ्फरनगर दंगों को लें। अगर यह विधेयक अस्तित्व में होता और दोनों समुदाय के लोग जो दंगों के लिए दोषी थे, वहां मौजूद होते तो उनमें से एक पर इस कानून के तहत अभियोग चलता, दूसरे पर नहीं।’

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने हालांकि कहा कि यह विधेयक घृणा और हिंसा की विचारधारा पर लगाम लगाने के लिए तैयार किया गया है। दिग्विजय ने कहा, ‘यह भारत जैसे बहुधर्मी, बहुनस्ली और बहुजातीय समाज में काफी महत्वपूर्ण है।’ जेटली और दिग्विजय सिंह नई दिल्ली में आयोजित एक सम्मेलन में ‘भारत के लिए नई दृष्टि’ पर परिचर्चा में हिस्सा ले रहे थे।

अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) के उदय के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा कि यह देखना होगा कि यह लम्बे समय तक चल पाती है या नहीं। जेटली ने पूर्व में आप के प्रभाव को खारिज करते हुए कहा था कि इसे चुनना वोट बर्बाद करना होगा। हालांकि ऐसा प्रतीत हुआ कि उन्होंने आप की मौजूदगी को मान लिया। उन्होंने कहा कि इस बारे में उनके पास इसका स्वागत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

वहीं, दिग्विजय ने कहा कि वह सिविल सोसाइटी के सभी सदस्यों का राजनीति में स्वागत करेंगे जो बिना जवाबदेही के सत्ता चाहते हैं। उन्होंने संसद में विधेयकों के लंबित रहने और कामकाज नहीं होने के लिए 2004 के बाद से भाजपा के टकराववादी रूख को जिम्मेदार ठहराया।

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘वर्तमान लोकसभा में सबसे अधिक संख्या में विधेयक लंबित है और कई बार छोटे छोटे मुद्दे पर संसद में कामकाज नहीं होने दिया जाता है। प्रधानमंत्री पर किसी भी विषय पर आरोप लगाये जा सकते हैं लेकिन टकराव के लिए नहीं। वह ऐसे व्यक्ति हैं जो टकराव नहीं करते हैं।’

दूसरी ओर, जेटली ने कहा कि यह मिथक है कि भाजपा संसद में आर्थिक विधान पारित होने नहीं दे रही है। उन्होंने इसके लिए कार्यपालिका निर्णय लेने की रफ्तार धीमी होने और प्रधानमंत्री की सत्ता के कमजोर होने को जिम्मेदार ठहराया। जेटली ने कहा कि अगर आप आधारभूत संरचना पर रफ्तार धीमी करते हैं तो इस संबंध में संसद की तरफ से अड़चन डाले जाने का कोई आरोप नहीं है। अगर आप 700 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूर करने में देरी करते हैं तो इसमें भी संसद आड़े नहीं आती। (एजेंसी)

First Published: Saturday, December 7, 2013, 21:47

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