तेलंगाना के साथ सीमांध्र से भी हो न्याय: भाजपा

तेलंगाना के साथ सीमांध्र से भी हो न्याय: भाजपा

नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र की विस्तारित बैठक में पृथक तेलंगाना राज्य बनाने का विधेयक लाए जाने की सरकार की तैयारी पर भाजपा ने आज कहा कि वह हमेशा से इसके पक्ष में रही है, लेकिन साथ ही चाहती है कि सीमांध्र के साथ भी न्याय हो।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि सरकार 5 फरवरी से शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तेलंगाना विधेयक को पारित कराने के लिए लाने जा रही है, लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस इस मुद्दे से निपटी है वह शासन कला के पूर्ण अभाव का द्योतक है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग सरकार ने तीन राज्यों--उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ का गठन किया और यह कहने की जरूरत नहीं कि इन तीन राज्यों के गठन से उन क्षेत्रों को लाभ मिला जिनके लिए ये बनाए गए थे।

तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी की प्रशंसा करते हुए जेटली ने कहा कि उन तीन राज्यों को बनाने के मुद्दे से वह पूरी योग्यता से निपटे। भाजपा नेता के अनुसार छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के गठन का खास विरोध नहीं हुआ, मगर झारखंड बनाने का बिहार के सत्तारूढ़ दल राजद की ओर से कड़ा प्रतिरोध हुआ।

जेटली ने कहा कि आडवाणी ने उस समय तीनों राज्यों को आश्वासन दिया कि उनके बंटवारे का उन पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाएगा और इसके चलते संसद के संसद के दोनों सदनों ने उन तीनों राज्यों के गठन के प्रस्तावों को सर्वसम्मति से मंजूरी दी।

उन्होंने कहा, लेकिन तेलंगाना मामले में कांग्रेस की जो भूमिका है उससे आंध्रप्रदेश के दोनों क्षेत्र - तेलंगाना और सीमांध्र, कांग्रेस के इरादों पर संदेह कर रहे हैं। भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस की राजनीति के चलते तेलंगाना बनाने के नेक इरादों का उद्देश्य भी विवाद का विषय बन गया। इसका एकमात्र कारण कांग्रेस में राजनीतिक प्रबंधन की कमी है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, February 1, 2014, 21:56

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