खुद को भारत का पुत्र मानते हैं दलाई लामा

खुद को भारत का पुत्र मानते हैं दलाई लामा

गुवाहाटी : तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा अपने को भारत का पुत्र मानते हैं और वह यहां काफी खुश हैं। दलाई लामा आज यहां संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘मैं 54 साल से भारतीय चावल, रोटी, चाय ले रहा हूं। अब मैं खुद को भारत पुत्र, भारतीय मिट्टीपुत्र मानता हूं। मैं काफी खुश हूं।’

दलाई लामा आज यहां पांच दिवसीय तिब्बती कला एवं संस्कृति उत्सव का उद्घाटन करने तथा पहले ‘एलबीएस फाउंडर्स कमेमोरेटिव’ व्याख्यान देने के लिए यहां आए थे। अपने व्याख्यान में तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने आज यहां यह भी साफ किया कि तिब्बत चीन से आजादी नहीं मांग रहा है। लेकिन उन्होंने कहा कि कुछ कट्टरपंथी चीनी कम्युनिस्टों की वजह से उनकी मातृभूमि की सांस्कृतिक विरासत खतरे में है। दलाई लामा ने कहा, ‘अहिंसा के तरीके में एक तरफ जीत और एक तरफ हार नहीं हो सकती। उसके बाद संघर्ष की स्थिति बनेगी जिससे हिंसा को बढ़ावा मिलेगा। इस सिद्धांत के साथ हम (तिब्बत) चीन से स्वतंत्रता नहीं मांग रहे हैं।’

दलाई लामा ने हालांकि कहा कि उनकी मातृभूमि की सांस्कृतिक विरासत कुछ कट्टरपंथी चीनी कम्युनिस्टों की वजह से खतरे में है। उन्होंने कहा, ‘तिब्बती संस्कृति वास्तव में खतरे का सामना कर रही है। कुछ कट्टरपंथी चीनी कम्युनिस्ट सिर्फ सत्ता के लिए चिंतित हैं, कैसे नियंत्रण किया जाए उनकी अनभिज्ञता। वे तिब्बती संस्कृति पर कई पाबंदियां थोप रहे हैं।’

आध्यात्मिक नेता ने कहा, ‘यहां तक कि कोई शब्द जो बौद्ध संस्कृति को सरल बनाता हो, वे (चीनी) इसे प्रतिबंधित कर देते हैं। उन्होंने भाषा पर काफी प्रतिबंध लगा दिया है। इसलिए, मैं कहता हूं कि एक प्राचीन देश समाप्त हो रहा है जिसकी अनोखी सांस्कृतिक विरासत रही है।’ उन्होंने कहा कि तिब्बती संस्कृति के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करना समाज के लिए काफी प्रासंगिक है क्योंकि ‘यह शांति, सौहार्द, ज्ञान और करूणा की संस्कृति है।’

दलाई लामा ने कहा कि आम चीनी आदमी धीरे-धीरे तिब्बती सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए अधिक जागरूक होने लगा है। उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से इन दिनों बड़ी संख्या में चीनी लोग बौद्ध धर्म खासकर तिब्बती बौद्धधर्म में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। चीन में अब बौद्ध आबादी 40 करोड़ से 50 करोड़ के बीच है। वे लोग वास्तव में तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रति चिंता कर रहे हैं।’ उन्होंने दुनिया में हिंसा की समस्या को तमाम स्तर पर वार्ताओं के माध्यम से हल करने का आह्वान किया।

दलाई लामा ने कहा, ‘यूरोपीय संघ की ओर देखिए। वहां के लोग अधिक परिपक्व हैं और वे वास्तविकता के अनुरूप सोचते हैं। उनके सहयोगी पहले एक दूसरे से संघर्ष करते थे। लेकिन अब उन्होंने ईयू के बारे में विचार विकसित कर लिया है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं अपने अफ्रीकी मित्रों से कहता हूं कि उनका भविष्य एकजुटता पर निर्भर करता है। उत्तर और दक्षिण अमेरिका भी मानवीय तरीकों से अपनी समस्याओं का हल कर सकते हैं।’ तिब्बत पर ग्लोबल वार्मिंग के असर के बारे में दलाई लामा ने कहा, ‘चीन की सरकार इस पर ध्यान दे रही है और स्थिति पर नियंत्रण के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए गए हैं। (एजेंसी)

First Published: Sunday, February 2, 2014, 21:33

comments powered by Disqus