Last Updated: Friday, May 9, 2014, 13:58
ज़ी मीडिया ब्यूरो/बिमल कुमार नई दिल्ली : दलितों पर विवादित बयान के मामले में योगगुरु रामदेव को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फिलहाल रामदेव के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी है और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया ह।
दलितों पर बयान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रामदेव सोच समझकर बयान दिया करें। साथ ही कोर्ट ने रामदेव को 10 लाख रुपये जमा करवाने का आदेश भी दिया है।
गौर हो कि योगगुरु रामदेव ने बीते दिनों उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दलितों के घर जाने के बारे में ‘हनीमून’ संबंधी उनकी टिप्पणियों को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ कर दिया जाए। प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष रामदेव की याचिका का वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और वकील केशव मोहन ने उल्लेख किया। जिस पर न्यायालय ने शुक्रवार को सुनवाई की तारीख तय की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दलितों को ले कर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करने पर योगगुरू रामदेव के विरूद्ध देश के विभिन्न हिस्सों में दायर मामलों पर तमाम कार्यवाही पर आज लगा दी।
प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढा की पीठ ने तमाम राज्यों की पुलिस को नोटिस जारी किया जहां रामदेव के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। पीठ ने कहा कि हम स्पष्ट कर रहे हैं कि हम मामले के गुण-दोष पर कोई राय जाहिर नहीं कर रहे हैं। अदालत का यह आदेश रामदेव की ओर से दायर एक याचिका पर आया जिसमें उनके खिलाफ किसी दबावकारी कार्रवाई पर रोक लगाने और उनकी विवादास्पद ‘हनीमून’ टिप्पणी पर देश के विभिन्न हिस्सों में दायर तमाम प्राथमिकियों को एक साथ करने का आग्रह किया गया है।
इससे पहले, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और वकील केशव मोहन ने अदालत के समक्ष कहा कि रामदेव के 25 अप्रैल के संवाददाता सम्मेलन की टिप्पणियों से संबंधित शिकायतों और प्राथमिकियों को एक साथ कर देना चाहिए और लखनऊ या उच्चतम न्यायालय अपनी पसंद से किसी जगह पर उनकी सुनवाई कराई जाए। रामदेव ने यह भी आग्रह किया कि अदालतों और पुलिस को योगगुरु के खिलाफ दायर प्राथमिकियों के आधार पर उनके खिलाफ कोई दबावकारी कार्रवाई करने से रोका जाए।
राहुल गांधी के खिलाफ रामदेव की टिप्पणी पर अनेक पार्टियों और संगठनों ने तीखी आलोचना की थी। उन्होंने रामदेव की टिप्पणी को ‘दलित विरोधी’ करार दिया था। रामदेव के खिलाफ पहली प्राथमिकी लखनऊ के महानगर पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 171 (जी) के तहत दर्ज की गई थी।
पुलिस ने रामदेव के बयान के वीडियो फुटेज का विश्लेषण के बाद यह प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके बाद, कई अन्य राज्यों में रामदेव के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज कराई गईं।
First Published: Friday, May 9, 2014, 13:02