Last Updated: Monday, March 3, 2014, 23:57

नई दिल्ली : सरकार ने ब्रिटिश कंपनी रोल्स रॉयस से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में सीबीआई जांच लंबित रहते कंपनी के साथ अपने सभी मौजूदा और भविष्य के सौदों पर आज रोक लगा दी और लंदन की कंपनी द्वारा कमीशन के तौर पर ली गयी रकम वसूलने का फैसला किया। सूत्रों ने कहा कि भारत ब्रिटेन से भी जानकारी मांगेगा जहां सीरियस फ्रॉड ऑफिस चीन और इंडोनेशिया से संबंधित मामलों में रोल्स रॉयस के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच कर रहा है। इस बीच रोल्स रॉयस ने कहा कि वह कोई गलत आचरण बर्दाश्त नहीं करेगी और कथित रिश्वत मामले में भारतीय अधिकारियों को पूरी तरह सहयोग करेगी।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकारी स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को विमानों के इंजनों की आपूर्ति के लिए 10,000 करोड़ रुपये के ठेकों में रिश्वतखोरी के आरोपों में रक्षा मंत्री ए के एंटनी द्वारा सीबीआई जांच के आदेश के चलते रोल्स रॉयस के साथ सभी करारों पर रोक लगा दी गयी है।
रोल्स रॉयस ने छह तरह के विमानों - एजेटी हॉक, जगुआर, एवरो, किरन एमके-2 और सी हैरियर तथा सी किंग हेलीकॉप्टरों के लिए इंजनों की आपूर्ति की थी और वायु सेना को इनके रखरखाव तथा मरम्मत के लिए कंपनी के साथ करार करना था।रक्षा मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने कहा कि एचएएल से लंदन की कंपनी रोल्स रॉयस से वह रकम भी वसूलने के लिए कार्रवाई करने को कहा गया है जो उसने कमीशन एजेंटों को अदा की थी।
सूत्रों ने कहा कि कंपनी ने एचएएल को सूचित किया कि उसने सैन्य सौदों को हासिल करने के लिए आशमोर प्राइवेट लिमिटेड को कमीशन दिये थे और यह राशि 10 से 11.3 प्रतिशत के बीच थी। उन्होंने कहा कि एचएएल और रोल्स रॉयस ने 2007 से 2011 के बीच 5,000 करोड़ रपये से ज्यादा का कारोबार किया।
आरोपों पर कंपनी की ओर से पहली प्रतिक्रिया में रोल्स रॉयस के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम अधिकारियों के साथ पूरी तरह सहयोग करेंगे और बार बार स्पष्ट कर चुके हैं कि हम किसी तरह का कदाचार बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’ मामले में सीबीआई जांच का आदेश देने के बाद रक्षा मंत्रालय ने ब्रिटिश कंपनी को काली सूची में डालने के लिहाज से कानून मंत्रालय की राय जाननी चाही थी लेकिन भारतीय वायु सेना का विचार था कि रोल्स रॉयस के साथ रखरखाव संबंधी एक करार पर दस्तखत में देरी से देश की रक्षा तैयारियों पर असर पड़ेगा।
रोल्स रॉयस ने पिछले साल दिसंबर में एचएएल को एक पत्र लिखकर कहा था कि उसने सिंगापुर के शख्स अशोक पाटनी और उसकी कंपनी आशमोर प्राइवेट लिमिटेड को भारत में अपना ‘व्यावसायिक सलाहकार’ नियुक्त किया था। कंपनी ने एचएएल को यह भी बताया कि उसने आशमोर और उसके मालिक से 2013 में रिश्ता तोड़ लिया था।
कंपनी द्वारा कमीशन अदा करना भारत में सरकारी खरीद संबंधी नियमों का उल्लंघन है। नियमों के तहत रक्षा मंत्रालय के साथ सौदे करते समय बिचौलियों या कमीशन एजेंटों की मदद लेने पर पाबंदी है। सूत्रों के मुताबिक एचएएल को हाल ही में मिले एक पत्र के स्वरूप में रिश्वतखोरी के आरोप सामने आये जिसमें दावा किया गया है कि एचएएल और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों को बड़े ठेके पाने के लिहाज से रिश्वत दी गयी थी। रक्षा मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार एचएएल के सतर्कता प्रकोष्ठ की आंतरिक जांच में प्रथमदृष्टया आरोप साबित हुए हैं। (एजेंसी)
First Published: Monday, March 3, 2014, 23:57