Last Updated: Thursday, December 5, 2013, 23:47

नई दिल्ली : विपक्ष के कडे विरोध के बीच कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने विवादास्पद सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक के कई प्रावधान हटाने का गुरुवार को फैसला किया है। सरकार ने सुनिश्चित किया है कि यह विधेयक समूहों या समुदायों के बीच तटस्थ हो।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को ही कहा कि सरकार इस मुद्दे पर व्यापक सहमति कायम करने की कोशिश करेंगे। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने विधेयक को ‘तबाही का नुस्खा’ बताया था। केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने कहा कि सरकार विधेयक को संसद के चालू शीतकालीन सत्र में ही पेश करेगी।
सिंह ने आम सहमति की बात की और संसद में सभी सहयोग की अपेक्षा की ताकि सांप्रदायिक हिंसा और महिला आरक्षण से जुडे विधेयकों सहित तयशुदा विधेयक सुचारू रूप से पारित हो पाएं। सरकारी सूत्रों ने कहा कि सांप्रदायिक और लक्षित हिंसा विधेयक 2013 के मसौदे में किये गये प्रावधानों को संशोधित करने की ताजा पहल भाजपा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता की आलोचनाओं के परिप्रेक्ष्य में की गयी है।
इससे पहले विधेयक में स्पष्ट रूप से उल्लेख था कि दंगों का दायित्व बहुसंख्यक समुदाय पर होगा। अब मसौदा विधेयक को सभी समूहों या समुदायों के लिए तटस्थ बनाया गया है और केन्द्र सरकार कथित रूप से राज्यों के अधिकार क्षेत्र का हनन नहीं कर पाएगी। सूत्रों ने कहा कि विधेयक से देश के संघीय ढांचे पर कोई हमला नहीं होगा और केन्द्र सरकार की भूमिका आम तौर पर समन्वय की होगी और वह तभी कोई कार्रवाई करेगी, जब राज्य सरकार मदद मांगेगी। नये मसौदे के मुताबिक यदि राज्य सरकार की राय है कि सांप्रदायिक हिंसा को नियंत्रित करने के लिए केन्द्र सरकार की सहायता की जरूरत है तो वह ऐसे उद्देश्य से केन्द्र के सशस्त्र बलों की तैनाती के लिए केन्द्र सरकार की सहायता मांग सकती है। इससे पहले विधेयक के मसौदे में केन्द्र को सांप्रदायिक हिंसा की स्थिति में राज्य सरकार से सलाह मशविरा किये बिना केन्द्रीय अर्धसैनिक बल भेजने का एकतरफा अधिकार था।
भाजपा का कहना था कि वह संसद में इस विधेयक का विरोध करेगी। उसका मानना है कि यह विधेयक भारत के सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरा होगा। मोदी ने सिंह को लिखे पत्र में कहा है कि इस विधेयक का मसौदा खराब ढंग से तैयार किया गया है और यह तबाही का नुस्खा है। शिन्दे से जब मोदी की आलोचना के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हम यह विधेयक इस सत्र में लाएंगे। मोदी अपना काम करते रह सकते हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, December 5, 2013, 23:47