Last Updated: Monday, December 16, 2013, 10:03
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली: वर्ष 2012 के 16 दिसंबर की तारीख लोग अब भी भूल नहीं पाए हैं। निर्भया गैंगरेप के एक साल हो गए लेकिन अब भी ऐसा लगता है कि उसे पूरा न्याय नहीं मिल पाया। 16 दिसंबर, 2012 का दिन देश के इतिहास में काला दिन था। छह दरिंदों ने चलती बस में 23 वर्षीय निर्भया को अपनी हवस का शिकार बनाया था।
बर्बरता की हदें लांघते हुए निर्भया और उसके पुरूष दोस्त को चलती बस से फेंक दिया था। उसके बाद इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। 13 दिनों तक वह जिंदगी और मौत से जूझती रही। आखिर में 29 दिसंबर को मौत की नींद में सो गई। घटना के बाद पूरे देश में शोक की लहर फैल गई थी। उसकी मौत के बाद दिल्ली समेत देशभर की सड़कों पर आक्रोश उमड़ा था।
घटना के छह दिन बाद 22 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश जेएस वर्मा के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने एक न्यायिक कमेटी बनाई। कमेटी की पहली बैठक 26 दिसंबर हुई तब तक कमेटी के पास सुझावों के तौर पर छह हजार ईमेल आ चुके थे। कमेटी ने 80 हजार सुझावों को ध्यान में रखते हुए 29 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
कमेटी की सिफारिशों के आधार पर एंटी रेप लॉ बना। क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट ऑर्डिनेंस 2013 (एंटी रेप लॉ) में दुष्कर्म की परिभाषा भी बदली। 16 दिसंबर के बाद देशभर में 164 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए गए। घटना के बाद देश के कई राज्यों में महिला हेल्पलाइन शुरू की गई।
इतने सख्त कानून बनने के बाद भी लोगों में बिल्कुल भी खौफ पैदा नहीं हुआ। दिनों दिन रेप और यौन शोषण की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। 2012 में जहां रेप के 642 केस थे वहीं 2013 में 1472 ऐसे केस सामने आए हैं। दिल्ली में पिछले साल 16 दिसंबर को हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद आलोचनाओं के घेरे में आई पुलिस ने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हेल्पलाइन नंबर शुरू करने समेत कई कदम उठाए हैं लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कमी आने के बजाए इनमें बढोतरी देखने को मिली है।
सबसे बड़ी चिंताजनक बात यह है कि महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न के मामलों में पांच गुना बढोतरी दर्ज की गई है। नवंबर 2013 तक पिछले वर्ष के 625 मामलों की तुलना में 3237 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं का शीलभंग करने संबंधी मामलों में भी बढोतरी हुई है। पिछले वर्ष के 165 मामलों की तुलना में इस वर्ष 852 मामले दर्ज किए गए।
दिल्ली गैंगरेप के चार आरोपियों को साकेत की फास्ट ट्रेक कोर्ट ने 10 सितंबर 2013 को फांसी की सजा सुनाई थी तो एक आरोपी नाबालिग था जिसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया था। पीड़िता के माता-पिता का कहना है कि हमारी बेटी को तब न्याय मिलेगा, जब आरोपियों को फांसी लगेगी।
First Published: Monday, December 16, 2013, 08:36