Last Updated: Friday, February 14, 2014, 19:38
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि खालिस्तानी आतंकी देविन्दरपाल सिंह भुल्लर की मानसिक बीमारी के मद्देनजर उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल की राय का हवाला दिया है जिसमें उन्होंने मौत की सजा को उम्र कैद में बदलने की हिमायत की है।
राज्यपाल ने कहा था ‘‘मानव मूल्यों और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के कारण मैं नवनीत कौर (भुल्लर की पत्नी) की दया याचिका अस्वीकार करने की सिफारिश नहीं कर सकता हूं और मेरी राय इस मामले के अंतिम निष्पादन के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दी जाए।’ दिल्ली सरकार ने शीर्ष अदालत के आदेश पर अमल करते हुए यह हलफनामा दाखिल किया है। शीर्ष अदालत ने 31 जनवरी को खुल्लर को फांसी देने पर रोक लगाते हुए नवनीत कौर की याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था।
उच्चतम न्यायालय ने भुल्लर की मानसिक स्थिति के बारे में इहबास से एक सप्ताह के भीतर उसकी रिपोर्ट भी मांगी थी। नवनीत कौर का दावा है कि भुल्लर मानसिक बीमारी से ग्रस्त है। शीर्ष अदालत के 21 जनवरी के फैसले के बाद भुल्लर की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने के लिए उसकी पत्नी की याचिका महत्वपूर्ण हो गई है। शीर्ष अदालत ने इस फैसले में कहा था कि दया याचिका के निबटारे में अत्यधिक विलंब मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का आधार हो सकती है।
भुल्लर ने शीर्ष अदालत के पहले के निर्णय पर नए सिरे से गौर करने के लिए याचिका दायर की थी। न्यायालय ने इससे पहले दया याचिका के निबटारे में विलंब के आधार पर भुल्लर की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने के लिए उसकी याचिका खारिज कर दी थी। (एजेंसी)
First Published: Friday, February 14, 2014, 19:38