Last Updated: Sunday, December 22, 2013, 00:39

नई दिल्ली : राजनयिक देवयानी खोबरागड़े पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए भारत और अमेरिका के बीच जारी बातचीत के बीच विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने आज कहा कि वह अमेरिका को मूल्यवान सहयोगी मानते हैं और उसे साझीदारी के मूल्यों को समझना चाहिए। फिक्की के एक कार्यक्रम से इतर खुर्शीद ने संवाददाताओं से कहा, हम इस पर विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं। बातचीत को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचने दीजिए। विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा, हमारा अमेरिका के साथ असाधारण रूप से मूल्यावान रिश्ते हैं और मैं मानता हूं कि उनके मन में भी हमारे लिए यही भावना होगी और उन्हें साझीदारी के मूल्यों को समझना चाहिए।
1999 बैच की आईएफएस अधिकारी 39 वर्षीय खोबरागड़े को कथित तौर पर वीजा फर्जीवाडे के मामले में 12 दिसंबर को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह अपनी बच्ची को स्कूल छोड़ने गई थी और उन्हें 250,000 डालर के मुचलके पर रिहा किया गया। खोबरागड़े की इस तरह से तलाशी ली गई जैसे आम तौर पर अपराधियों की ली जाती है। इस पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। भारत ने खोबरागड़े के खिलाफ बिना शर्त मामले वापस लेने की मांग की है। विदेश मंत्री ने कहा कि वरिष्ठ राजनयिक की गिरफ्तारी से संवाद का माध्यम बाधित हो गया है जो चिंता का विषय है। खुर्शीद ने कहा, मैं राजनयिक माध्यम से अमेरिका से बात करता हूं और मेरा राजनयिक माध्यम बाधिक हो गया है। यह मेरे लिये चिंता का विषय है।
मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों की कथित तौर पर मदद नहीं करने के लिए आलोचना का सामना करना वाले खुर्शीद ने कहा, लोगों को मेरा वह विचार पसंद नहीं आया जब मैंने कहा कि अगर मैं अमेरिका में अपने राजनयिक को न्याय नहीं दिला पाया तब संसद में नहीं आउंगा। क्या यह कहना कोई भयावह बात थी। उन्होंने कहा, कुछ लोग हैं जो सोचते हैं कि मेरा ऐसा कहना नाटकीय था और उन्होंने कहा है कि मुजफ्फरनगर में 50 हजार मुसलमान है और आपने यह नहीं कहा कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तब संसद में नहीं आयेंगे। विदेश मंत्री ने कहा, मेरा मानना है कि इन्हें न्याय दिलाना मेरे नियंत्रण में है, मेरे अधिकार में है, उत्तरप्रदेश और भारत की लोकतांत्रिक सरकारों के पास है और हम ऐसा करेंगे। उन्होंने कहा, मेरे लिए ऐसा अधिकार अमेरिका के संदर्भ में उपयोग करने में सक्षम होने की भी है। इस मामले को देख रहे अमेरिकी अभियोजक प्रीत भराड़ा पर निशाना साधते हुए खुर्शीद ने कहा, ऐसा कोई कारण नहीं है कि अमेरिका के साथ उच्च स्तर और दर्जे की बातचीत को बाधित होने दिया जाए। लेकिन इसमें बाधा आ रही है क्योंकि कुछ लोग बैठे हैं और धर्माचार्य की बात कर रहे हैं और कहते हैं कि यह युद्ध का समय है। लेकिन हम जवाब देते हैं और कहते हैं कि नहीं, युद्ध का समय समाप्त हो गया। यह शांति का समय है।
विदेश मंत्री ने खोबरागडे के साथ हुए बर्ताव पर अप्रसन्नता व्यक्त की विशेष तौर पर उन्हें हथकड़ी लगाए जाने और तलाशी के तौर तरीकों पर। उन्होंने कहा, भारतीय कानूनी प्रणाली धीमी हो सकती है। शिकायतों के संदर्भ में भारतीय विधि प्रणाली सर्वश्रेष्ठ नहीं हो सकती है जो लोगों को उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप संवेदनशील ढंग से सुने जाने को लेकर हो। लेकिन मैं आपको एक बात बता दूं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि हम किसी को ऐसे हथकड़ी नहीं लगायेंगे क्योंकि इससे लोगों की मानहानि होती है। मैं निश्चित हूं कि अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने यह नहीं कहा है।
विदेश मंत्री ने कहा, मैं इस देश का कानून मंत्री रहा हूं। मैं नहीं मानता कि इस तरह की तलाशी (कैबिटी सर्च) जैसे बात कभी सुनी हो। मैं यह समझता हूं कि परिस्थितियां अलग हो सकती है। मैं मानता हूं कि स्थितियां अलग हो सकती है लेकिन मैं यह भी मानता हूं कि ऐसे लोग हैं जो समझ नहीं रहे हैं। दोनों देशों के बीच सामरिक संबंधों का उल्लेख करते हुए खुर्शीद ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में विविध क्षेत्रों में संबंध काफी बढ़े हैं और सवाल किया कि क्या भारत का अमेरिका से यह उम्मीद करना अव्यवहारिक है कि उसके राजनयिक को सम्मान के साथ काम करने दिया जाए।
उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित देश के बाद हम परमाणु शोध एवं विकास में सहयोगी बने। ‘जब कोई ठेस पहुंचाने वाली घटना होती है तब क्या मैं अपने सामरिक साझेदार से यह उम्मीद नहीं कर सकता कि वह हमें वैसी प्रतिक्रिया दें जिसके हम हकदार हैं। क्या यह कहना व्यवहारिक है कि हमें समस्या का समाधान निकालना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 22, 2013, 00:37