परमाणु समझौते पर भारत से मतभेद कम : जापान

परमाणु समझौते पर भारत से मतभेद कम : जापान

नई दिल्ली : जापान ने आज कहा कि असैनिक परमाणु समझौते पर मतभेद को कम किया गया है और दोनों देश चीन की सैन्य शक्ति में वृद्धि जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता का नया तंत्र बनाकर ध्यान केंद्रित करने को उत्सुक हैं।

भारत के भारत-अमेरिका मालाबार अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए जापान को आमंत्रित करने के एक दिन बाद जापान के कैबिनेट सचिवालय में काउन्सिलर तोमोहिको तानीगुची ने कहा, ‘प्रधानमंत्री शिंजो एबे ने न्योते का स्वागत किया है। यह होगा और इसपर सहमति बन गई है।’ परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल में सहयोग के लिए दोनों देशों के बीच समझौते पर बातचीत की बात कहते हुए जापान के विदेश मंत्रालय में प्रेस सचिव कुनी सातो ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘असैनिक परमाणु समझौते पर मतभेदों को कम किया गया है।’

सातो ने कहा, ‘इसलिए उन्होंने (सिंह और एबे) कहा कि वे मुद्दे को प्रोत्साहन देंगे। उन्होंने कहा कि वह बातचीत जारी रहना देखना चाहेंगे। प्रधानमंत्री अबे और अनेक जापानी महसूस करते हैं कि भारत का अप्रसार का शानदार रिकॉर्ड है।’ सातो प्रधानमंत्री एबे के साथ भारत आए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं।

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में जापान ने जनता के स्तर पर संपर्क को बढ़ाने के लिए भारतीय पर्यटकों को कई बार प्रवेश के लिए तीन साल का वीजा देने की घोषणा की। इससे पहले भारत ने दोनों देशों के बीच वीजा व्यवस्था को उदार बनाने के लिए कदम उठाया था। इससे पहले, भारतीय पर्यटकों को सिर्फ एक बार प्रवेश के लिए वीजा जारी किया जाता था। यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अपने जापानी समकक्ष एबे के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक वार्ता करने के एक दिन बाद हुआ।

एबे की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने पर्यटन को प्रोत्साहन देने, दूरसंचार टावरों में ऊर्जा प्रभावकारिता बढ़ाने और भारत में उर्जा पैदा करने समेत आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किया। एबे भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने वाले पहले जापानी प्रधानमंत्री हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता का तंत्र चीन, दक्षिण चीन सागर और उत्तर कोरिया के साथ चर्चा का तंत्र है। सातो ने कहा, ‘हां, मैं ऐसा कहूंगा क्योंकि यह तथ्य है कि चीन सैन्य शक्तियां बढ़ा रहा है और कोई जरूरी नहीं है कि पर्याप्त पारदर्शिता के साथ।’ उन्होंने कहा, ‘इस वार्ता में उत्तर कोरिया, अफगानिस्तान, ईरान, इराक और यूक्रेन के मुद्दों पर भी चर्चा होगी। राय और विचारों को साझा करना महत्वपूर्ण है।’

तानीगुची ने कहा, ‘नवगठित सुरक्षा परिषद (शोतारो याची) के प्रमुख के तौर पर अपने पहले दौरे के लिए उन्होंने भारत को चुना है और खासतौर पर :शिवशंकर: मेनन को अपना वार्ता भागीदार चुना है। इस तथ्य को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए।’ एबे की यात्रा के उल्लेखनीय नतीजों के बारे में पूछे जाने पर सातो ने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार-स्तर की नियमित वार्ता से राजनैतिक-रक्षा मोर्च पर समझौते और संयुक्त समुद्री अभ्यास से आगे बढ़ा गया है। इसलिए नौसेना और समुद्री रक्षा बलों के बीच सहयोग की दिशा में प्रगति हुई है।’ (एजेंसी)

First Published: Sunday, January 26, 2014, 22:11

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