Last Updated: Tuesday, December 3, 2013, 15:05
नई दिल्ली : राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक को अत्यंत भेदभावपूर्ण करार देते हुए कहा कि संसद द्वारा इस तरह का कानून बनाना राज्यों के अधिकारक्षेत्र में हस्तक्षेप करना होगा ।
जेटली ने एक बयान में कहा कि सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा दो साल पहले सौंपे गये विधेयक के मसौदे को सलाह मशविरे के लिए इंटरनेट पर डाला गया । मैंने इस मसौदा विधेयक का कडी आलोचना की है क्योंकि कानून व्यवस्था और लोक व्यवस्था राज्य के विषय हैं और संसद द्वारा इस तरह का कानून बनाना राज्यों के अधिकारक्षेत्र का अतिक्रमण होगा । उन्होंने कहा कि यह विधेयक अत्यंत भेदभावपूर्ण है क्योंकि यह जन्म के निशान के आधार पर अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों के बीच भेदभाव करता है । यह विधेयक प्रस्तावित गठित होने वाले प्राधिकारों को अनियंत्रित अधिकार देता है । राष्ट्रीय एकता परिषद की 2011 में हुई बैठक में पार्टी विचारधारा से उपर उठकर मुख्यमंत्रियों ने इस आधार पर विधेयक का विरोध किया था कि यह संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ होगा ।
जेटली ने कहा, ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनावों से पहले सांप्रदायिक आधार पर देश का ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से गृह मंत्रालय ने एक बार फिर राज्य सरकारों को पत्र लिखा है, जिसके साथ संशोधित मसौदा विधेयक भेजा गया है । अभी संबद्ध पक्षों से पर्याप्त विचार विमर्श नहीं किया गया है । उन्होंने कहा कि कल तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मसौदा विधेयक के प्रति कडा विरोध जताया है । (एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 3, 2013, 15:05