Last Updated: Friday, May 30, 2014, 12:55
ज़ी मीडिया ब्यूरो/संजीव कुमार दुबेनई दिल्ली: देश के 15वें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को किताबों में अक्षरों या तस्वीर के रूप में नहीं दिखना चाहते हैं। किताबों के पाठ्यक्रम में वह अपनी जीवनी को हिस्सा नहीं बनाना चाहते। दरअसल नरेंद्र नहीं चाहते कि उनकी जीवनी किताबों के पाठ्यक्रम या सिलेबस का हिस्सा बने। नरेंद्र मोदी ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर ट्वीट कर इस सिलसिले में ऐतराज जताया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपना जीवन वृतांत स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने के भाजपा शासित राज्यों गुजरात और मध्यप्रदेश के कदम का यह कहते हुए विरोध किया कि जीवित व्यक्तियों को स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए।
मोदी ने ट्वीट किया ‘मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि जीवित व्यक्तियों के जीवन वृतांत को स्कूल के पाठ्यक्रम के हिस्से के तौर पर शामिल नहीं किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा ‘मैंने समाचार पत्रों में पढ़ा कि कुछ राज्य नरेंद्र मोदी के जीवन के संघर्ष को अपने स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास देश को वर्तमान तक लाने वाले दिग्गजों की गाथाओं से भरा पड़ा है। ‘युवाओं को चाहिए कि वे इन महान लोगों के बारे में पढ़ें और उनका अनुसरण करें।’
गुजरात में आनंदीबेन पटेल सरकार और मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार ने मोदी का जीवन वृतांत अपने अपने राज्यों में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही थी। मोदी की टिप्पणियां इसी सिलसिले में थीं। कल गुजरात सरकार ने कहा था कि उसने मोदी के जीवन के सभी महत्वपूर्ण अध्यायों को प्राथमिक स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
First Published: Friday, May 30, 2014, 09:50