Last Updated: Thursday, May 29, 2014, 00:07
नई दिल्ली : मणिपुर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को वापस लिए जाने की मांग को लेकर पिछले 13 साल से अधिक समय से अनशन कर रहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने दिल्ली की एक अदालत से कहा कि वह खाने को लेकर बेहद इच्छुक हैं बशर्ते उन्हें आश्वासन मिले कि इस ‘कठोर’ कानून को वापस लिया जाएगा।
शर्मिला ने दावा किया कि पूर्वोत्तर में लोगों के साथ भारी भेदभाव किया जा रहा है। शर्मिला जंतर मंतर पर अपने आमरण अनशन के दौरान आत्महत्या का कथित तौर पर प्रयास करने के लिए साल 2006 में दर्ज मामले के सिलसिले में जारी पेशी वारंट के मद्देनजर अदालत के समक्ष उपस्थित हुईं थीं।
शर्मिला ने अश्रुपूर्ण नेत्रों के साथ कहा, ‘मैं अपने जीवन से काफी प्रेम करती हूं और मैं यहां अदालत में खाने को लेकर बेहद इच्छुक हूं, बशर्ते मुझे आश्वासन मिले कि इस अलोकतांत्रिक आफस्पा को वापस ले लिया जाएगा।’ 41 वर्षीय शर्मिला ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आकाश जैन से यह भी कहा कि उनकी मंशा कभी भी आत्महत्या करने की नहीं थी और यह सिर्फ आफस्पा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन था। मणिपुर से विमान से यहां पहुंचने के एक दिन बाद नाक में नली लगाए वह अदालत में उपस्थित हुईं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 29, 2014, 00:07