Last Updated: Sunday, October 6, 2013, 13:54

नई दिल्ली : राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के उपाध्यक्ष एम. शशिधर रेड्डी ने कहा है कि यदि भूकंप की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील हिमालयी राज्यों में रिक्टर पैमाने पर 8 की तीव्रता वाला भूकंप आता है तो 8 लाख से अधिक लोग मारे जा सकते हैं।
जम्मू कश्मीर से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक हिमालय का पूरा क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अत्यंत सक्रिय है और 1897 से 1950 के बीच 53 साल में चार बडे भूकंप आये, जिनकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8 से अधिक थी। शिलांग में 1897 में, कांगड़ा में 1905, बिहार-नेपाल में 1934 और असम में 1950 में बडे भूकंप आये थे।
एनडीएमए उपाध्यक्ष ने कहा कि 1950 से अब तक ऐसा कोई बडा भूकंप नहीं आया। अध्ययनों से पता चलता है कि हिमालयी क्षेत्र में 8 या अधिक तीव्रता वाला भूकंप पैदा करने के लिहाज से पर्याप्त दबाव एकत्रित है। यदि हिमालयी राज्यों में 8 की तीव्रता वाला भूकंप आता है तो 8 से 9 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है।
रेड्डी ने कहा कि कब और कहां इस तरह का भूकंप आएगा, यह पता नहीं है इसलिए इस तरह की घटना का सामना करने के लिए सबसे अच्छी बात यही रहेगी कि भूकंप को दृष्टि में रखते हुए विकास कार्य हो। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए एनडीएमए ने हाल ही में यह परिदृश्य विकसित करने के उद्देश्य से कुछ जगहों पर अभ्यास किया कि यदि 8 तीव्रता वाला भूकंप आया तो क्या होगा।
इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इतनी ही तीव्रता के भूकंप के लिए दिल्ली से 200 किलोमीटर दूर एक अभ्यास किया गया। एनडीएमए ने हिमाचल प्रदेश के मंडी में 8 तीव्रता वाले भूकंप को लेकर बहु राज्यीय भूकंप परिदृश्य परियोजना चलायी। रेड्डी ने कहा कि यदि मंडी जैसी जगह पर 8 या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप आया तो सबसे नजदीक के सबसे बडे शहर चंडीगढ़ में कम से कम 20 हजार लोगों की जान जाने की आशंका है। एनडीएमए अब पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए ऐसा ही अभ्यास करने का प्रस्ताव कर रहा है कि यदि 1897 में शिलांग में आये भूकंप जैसी घटना हुई तो हालात से कैसे निपटा जाए।
एनडीएमए के अध्ययन के मुताबिक शिलांग भूकंप में एक बडे इलाके में इमारतें ध्वस्त हो गयीं और भूकंप के झटके म्यामां से दिल्ली तक महसूस किये गये। उस तरह का भूकंप यदि आज की तारीख में आया तो उससे बहुत व्यापक तबाही होगी क्योंकि आबादी शहरों में विस्थापित हो गयी है और क्षेत्र में पारंपरिक इमारतों की जगह कंक्रीट के ढांचों ने ले ली है। रेड्डी ने कहा कि हमारा मानना है कि यदि शिलांग में 1897 जैसा भूकंप आज की तारीख में आया तो असम में ही छह लाख लोगों की जान जाने की आशंका है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 6, 2013, 13:54