Last Updated: Monday, November 25, 2013, 19:23

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति को अपराधीकरण से मुक्त कराने के लिये कानून में संशोधनों के लिए विधि आयोग के पास भेजे गए मामले का विवरण पेश करने का निर्देश केन्द्र सरकार को दिया है।
न्यायमूर्ति आरएम लोढा और न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह ने केन्द्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पारस कुहाड को निर्देश दिया कि विधि आयोग को भेजे गये मामले की प्रति दो सप्ताह के भीतर पेश की जाये।
न्यायाधीशों ने कहा कि हम चुनाव सुधारों को लेकर हो रही बहस के दायरे को छोटा कर सकते हैं। पहले हमें विधि आयोग को भेजे गये मसले की प्रति दी जाये। हम भी कुछ बिन्दुओं पर विधि आयोग की राय मांग सकते हैं। न्यायाधीशों ने कहा कि चुनाव में अभी भी चार पांच महीने बचे हैं और हम देखना चाहते हैं कि क्या इस दौरान कुछ सकारात्मक कदम उठाये जा सकते हैं या नहीं।
न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन पब्लिक इंटरेस्ट फाउण्डेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में अनुरोध किया गया है कि ऐसे व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से वंचित किया जाये जिनके खिलाफ आपराधिक मामलों में अभियोग निर्धारित हो चुका है। अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ने जनहित याचिका का जवाब देते हुये कहा कि हम राजनीति को अपराधीकरण से मुक्त करने के लिये कृतसंकल्प हैं लेकिन आमसहमति के बगैर सरकार आगे नहीं बढ़ सकती है।
विधि आयोग, निर्वाचन आयोग और संसदीय समिति ने पहले भी इन मसलों पर विचार किये जाने की ओर ध्यान आकषिर्त करने पर न्यायाधीशों ने कहा कि सवाल यह है कि क्या कार्यपालिका ने उनके दृष्टिकोण को स्वीकार किया। न्यायालय जानना चाहता है कि चुनाव सुधारों के बारे में विभिन्न आयोगों और समिति की सिफारिशों को कार्यपालिका ने किस हद तक स्वीकार किया है।
न्यायाधीशों ने कहा कि सरकार का दृष्टिकोण इन समितियों से भिन्न हो सकता है। सरकार को एक दृष्टिकोण अपनाकर संसदीय नियमों के अनुरूप आगे बढ़ना होगा। इससे पहले, निर्वाचन आयोग ने अपने हलफनामे में प्रस्ताव दिया था कि यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ अदालत में ऐसे अपराध के लिये अभियोग निर्धारित किए जा चुके हैं जिसमें उसे पांच साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है तो ऐसे व्यक्ति को चुनाव लड़ने से वंचित किया जाना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Monday, November 25, 2013, 19:23