Last Updated: Sunday, October 20, 2013, 16:44

नई दिल्ली : लेखिका-कार्यकर्ता फातिमा भुट्टो अब उपन्यासकार बन गयी हैं और उनका पहला उपन्यास प्रकाशित हो गया है जिसमें अफगानिस्तान सीमा के पास वजीरिस्तान के समस्याग्रस्त कबाइली क्षेत्र के एक छोटे शहर में रहने वाले तीन भाइयों और दो महिलाओं की कहानी है।
पेंगुइन द्वारा प्रकाशित ‘द शैडो ऑफ द क्रीसेंट मून’ में अशांत क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जद्दोजहद की कहानी है। इसके मुख्य किरदारों में तीन भाई अमान एरम, सिकंदर और हयात तथा दो महिलाएं समरा और मीना हैं। पाकिस्तान की दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की भतीजी के पहले उपन्यास की कहानी मीर अली कस्बे में शुक्रवार की एक बारिश वाली सुबह से शुरू होकर उसी दिन समाप्त हो जाती है।
कहानी की शुरूआत की एक झलक आपको इस नजारे से मिलेगी कि तीनों भाई शेर हकीमुल्ला रोड पर अपने घर में नाश्ते पर मिलते हैं। तुरंत बाद सबसे बड़ा अमान जो अमेरिका से हाल में लौटा है, टैक्सी लेकर पास की मस्जिद जाता है। दूसरा भाई सिकंदर एक डॉक्टर है। वह अपने अस्पताल चला जाता है। सिंकदर की पत्नी मीना इन दिनों कुछ उखड़ी-उखड़ी सी रहती है और किसी को नहीं पता कि कहां जाती है। वह उस सुबह परिवार के साथ नहीं है।
सबसे छोटा भाई हयात मोटरसाइकिल पर शहर में निकल जाता है। उसके पीछे बाइक पर खूबसूरत समरा बैठी हुई है जिसकी जिंदगी पर अशांति और संघर्ष का गहरा असर पड़ा है। तीनों भाई अपनी विधवा मां के साथ एक घर में रहते हैं। लेखिका कहती है कि अधिकतर पाकिस्तानी मीर अली के बारे में उसी तरह विद्वेष के साथ सोचते हैं जैसा वे भारत या बांग्लादेश के लिए सोचते हैं। यह फातिमा की चौथी रचना है। इससे पहले वह कविताएं लिख चुकी हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 20, 2013, 16:44