सीबीआई को बचाने सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट, सुनवाई आज

सीबीआई को बचाने सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट, सुनवाई आज

सीबीआई को बचाने सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट, सुनवाई आजज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली : सीबीआई की स्थापना को असंवैधानिक करार देने वाले गौहाटी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ केन्द्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सरकार ने इस निर्णय पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा है कि इस निर्णय का देश की तमाम अदालतों में लंबित हजारों आपराधिक मामलों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। प्रधान न्यायाधीश पी. सदाशिवम शाम 4.30 बजे अपने निवास पर इस याचिका की सुनवाई करेंगे।

इस बीच, वकील नवेन्द्र कुमार ने न्यायालय में कैविएट दाखिल कर दी है। वह प्रधान न्यायाधीश के निवास पर यह मालूम करने भी गए कि क्या केन्द्र की याचिका पर सुनवाई होगी। नवेन्द्र कुमार की याचिका पर ही गौहाटी हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है।

केन्द्र ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर इस याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा, ‘इसका देश की अदालतों में लंबित सीबीआई के करीब नौ हजार मुकदमों की सुनवाई और करीब एक हजार मामलों की जांच पर सीधा असर पड़ेगा जिनकी वह तफ्तीश कर रही है।’ इस याचिका को अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने अंतिम रूप दिया है। याचिका में कहा गया है कि यदि इस आदेश पर रोक नहीं लगायी गयी तो कानूनी तंत्र को निष्प्रभावी कर देगा और इसकी वजह से अदालती कार्यवाही में बहुलता आ जाएगी।

याचिका के अनुसार इस आदेश के आलोक में देश में तमाम मामलों के अनेक अभियुक्तों ने इउनके खिलाफ लंबित कार्यवाही पर रोक लगाने के लिये पहले ही कवायद शुरू कर दी है। केन्द्र सरकार ने यह भी दलील दी है कि उच्च न्यायालय ने यह निष्कर्ष निकाल कर भूल की है कि सीबीआई का गठन गैरकानूनी है, यह कि इसके गठन संबंधी प्रस्ताव पर राष्ट्रपति की संस्तुति की आवश्यकता है और इसे पुलिस बल नहीं माना जा सकता।

गौहाटी हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 6 नवंबर को एक निर्णय में दिल्ली स्पेशल इस्टेबलिशमेन्ट कानून, 1946 के तहत एक अप्रैल, 1963 के प्रस्ताव के जरिये सीबीआई की स्थापना को निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने जांच ब्यूरो की सभी कार्रवाई को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। केन्द्र ने कहा है कि इस निर्णय के सीबीआई के कामकाज पर गंभीर परिणाम होंगे क्योंकि न्यायालय ने समय पर खरा उतरा 50 साल पुराना प्रस्ताव ही निरस्त कर दिया है।

याचिका के अनुसार, ‘सीबीआई प्रभावी तरीके से काम करती है और उसके पास करीब 6000 कर्मचारी है और ये सभी तमाम मामलों की जांच और इससे संबंधित मुकदमों से जुड़े हुये हैं। याचिका में कहा गया है कि इस तरह इस निर्णय का गंभीर परिणाम होगा और न्याय के हित तथा सुविधा के लिये जरूरी है कि इसके अमल पर तत्काल अंतरिम रोक लगायी जाए।

मालूम हो कि गुवाहाटी हाईकोर्ट ने 6 नवंबर को अपने एक फैसले में कहा था कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम 1946 के तहत गठित सीबीआई पुलिस बल नहीं है और यह अधिनियम का न तो एक अवयव है और न ही हिस्सा। फैसले में कहा गया है, `जहां हम वैधता बनाए रखने से इनकार करते हैं और घोषित करते हैं कि डीएसपीई अधिनियम 1946 विधान का वैध हिस्सा नहीं है, वहीं हम यह पा रहे हैं कि सीबीआई न तो डीएसपीई अधिनियम का अवयव है और न ही हिस्सा है और इसीलिए डीएसपीई अधिनियम 1946 के तहत गठित सीबीआई को `पुलिस बल` नहीं माना जा सकता।`

हाईकोर्ट ने सीबीआई गठित करने के गृह मंत्रालय के 1 अप्रैल 1963 के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीपी मल्होत्रा ने सीबीआई के गठन से जुड़े 1963 के प्रस्ताव को खारिज करने के अभूतपूर्व फैसले को स्पष्ट रूप से गलत ठहराया है।

First Published: Saturday, November 9, 2013, 09:04

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