Last Updated: Friday, March 28, 2014, 14:17

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह बीरभूम सामूहिक बलात्कार पीड़िता को पहले से स्वीकृत 50 हजार रूपये की राशि के अलावा 5 लाख रूपये का अतिरिक्त मुआवजा प्रदान करे ।
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम, न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एनवी रमना की पीठ ने यह भी कहा कि राज्य सरकार 20 वर्षीय पीड़िता के मौलिक अधिकार की रक्षा करने में विफल रही है । सामूहिक बलात्कार की इस घटना में इस साल पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में एक आदिवासी युवती से कथित तौर पर 13 ग्रामीणों ने दुष्कर्म किया था ।
शीर्ष अदालत ने 31 जनवरी को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वह इस बारे में जवाब दें कि मामले में क्या कार्रवाई की गई है । लड़की से कथित तौर पर पंचायत के आदेश पर दंड के रूप में इसलिए सामूहिक दुष्कर्म किया गया क्योंकि उसके दूसरे समुदाय के युवक से प्रेम संबंध थे । मुख्य सचिव की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद पीठ ने कहा था कि राज्य सरकार ने कदम तो उठाए, लेकिन और प्रभावी कार्रवाई किए जाने की जरूरत है ।
पीठ ने 24 जनवरी को घटना का स्वत: संज्ञान लिया था और जिला न्यायाधीश को घटनास्थल का दौरा करने तथा रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था । पीड़िता और उसके प्रेमी को पकड़ लिया गया था । उन्हें एक पेड़ से बांध दिया गया और मारपीट की गई । उनसे 50 हजार रूपये का जुर्माना अदा करने को कहा गया। लड़की के जुर्माना अदा करने में असमर्थता जताने पर उससे सामूहिक बलात्कार किया गया।
लड़की और उसके परिवार ने पुलिस थाने में अपनी शिकायत में कहा था कि इस बर्बर कृत्य को अंजाम देने वालों में ऐसे लोग भी शामिल थे जिनकी उम्र पीड़िता के पिता के बराबर थी । ग्राम प्रमुख (क्षेत्र में मोरोल के रूप में जाना जाने वाला) सहित सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है । बलात्कार कथित तौर पर मोरोल के घर में किया गया । (एजेंसी)
First Published: Friday, March 28, 2014, 14:17