Last Updated: Wednesday, June 4, 2014, 20:52
ज़ी मीडिया ब्यूरो/रामानुज सिंहपरली (महाराष्ट्र)/नई दिल्ली: हजारों की संख्या में समर्थकों और परिवार के शोक संतप्त सदस्यों ने नम आंखों से महाराष्ट्र भाजपा के सबसे कद्दावर जननेता गोपीनाथ मुंडे को बुधवार को यहां अंतिम विदाई दी जो कि लोकसभा चुनाव में पार्टी की प्रभावी जीत के सूत्रधार थे। मुंडे का मंगलवार को राजधानी दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था।
पिछड़ा क्षेत्र माने जाने वाले मराठवाड़ा के नेता मुंडे को आखिरी विदाई देने के लिए उनके गृह नगर में जनसैलाब उमड़ पड़ा था। मुंडे की बड़ी पुत्री पंकजा ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान वहां लोगों ने ‘गोपीनाथ मुंडे अमर रहे’ के नारे लगाए। कड़ी धूप में अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने आई दुख से सराबोर क्षेत्र की जनता मुंडे की एक झलक पाने के लिए उत्सुक थी और इस क्रम में उनकी नाराजगी भी सामने आई।
अंतिम संस्कार स्थल पर मुंडे समर्थकों ने पुलिस दल पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इसके बाद उनकी पु़त्री पंकजा ने मंच पर आगे आकर कार्यक्रम का संचालन अपने हाथों में ले लिया और नाराज स्थानीय लोगों से शांत रहने और व्यवस्था बनाये रखने की अपील की। हालांकि स्थिति एक बार फिर से बिगड़ गई जब लोगों ने मुंडे की मौत की सीबीआई जांच कराने की मांग की और अंतिम संस्कार के बाद तोड़फोड की।
भीड़ ने एक कार में आग लगा दी और मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण एवं कुछ अन्य मंत्रियों के वाहन का मार्ग बाधित कर दिया। टीवी पर देखा गया कि चव्हाण अपनी कार में बैठे थे और मुंडे समर्थन कार के बोनेट पर मुक्के मार रहे थे जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। अंतिम संस्कार में मौजूद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सीबीआई जांच की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। 64 वर्षीय केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री मुंडे का कल दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। यह दुर्घटना उस समय हुई जब वह लोकसभा चुनाव में अपनी और भाजपा की शानदार जीत के लिए आयोजित सम्मान समारोह के लिए परली जा रहे थे। मुंडे दूसरी बाद बीड़ से निर्वाचित हुए थे। यद्यपि तकदीर के बेरहम हाथों ने उन्हें छीन लिया और वह वहां जिंदा नहीं पहुंच पाए। मुंडे के पार्थिव शरीर को बैद्यनाथ सुगर कारखाना परिसर ले जाया गया जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। यह स्थान उस ‘तोतला मैदान’ से कुछ ही किलोमीटर दूर है जहां उनके उस सम्मान समारोह का आयोजन किया जाना था जो कभी नहीं हो पाया।
मुंडे के परिवार में उनकी पत्नी प्रज्ञा और पंकजा सहित तीन पुत्रियां हैं। पंकजा परली से भाजपा विधायक हैं और अपने पिता की राजनीतिक वारिस हैं। ज्येष्ठ पुत्र द्वारा मुखाग्नि दिए जाने की हिंदू परंपरा के विपरीत पंकजा ने अपने पिता को मुखाग्नि दी और साथ ही उनकी राजनीतिक विरासत को संभालने का संकेत दिया। इस मौके पर भाजपा के कई वरिष्ठ नेता उपस्थित थे जिसमें केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी शामिल थे जो कि मुंडे के साथ उस समय जुड़े रहे हैं जब वह पुणे में छात्र नेता थे। इसके अलावा उपस्थित अन्य नेताओं में पार्टी महासचिव राजीव प्रताप रूडी, गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, मनसे प्रमुख राज ठाकरे, आरपीआई नेता रामदास अठावले और कई अन्य राज्य मंत्री एवं विधायक शामिल थे।
पिछड़ी जाति के नेता के तौर पर अपना राजनीतिक कैरियर शुरू करने वाले मुंडे 1995 में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री बने जब भाजपा-शिवसेना गठबंधन पहली बार राज्य में सत्ता में आया था। मुंडे को इस वर्ष के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव का नेतृत्व करना था। जारी अगले कुछ महीने में आसन्न विधानसभा चुनाव में गठबंधन की सरकार बनने की स्थिति में काफी लोग मुंडे को मुख्यमंत्री पद के लिए एक प्रबल दावेदार के रूप में देखते थे। भाग्य को हालांकि कुछ और ही मंजूर था और मुंडे का एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। मुंडे ने सप्ताह भर पहले ही केंद्रीय मंत्री के तौर पर शपथ ली थी और उन्होंने सांसद के रूप में अभी शपथ नहीं ली थी।
मुंडे के साले और भाजपा के एक अन्य दिग्गज नेता प्रमोद महाजन के राजनीतिक कैरियर का मई 2003 में उस समय अंत हो गया था जब उनके छोटे भाई ने उन्हें गोली मार दी थी। महाजन के बाद मुंडे भाजपा.शिवसेना गठबंधन के वास्तुकार थे। इस गठबंधन ने इस लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था। मुंडे को भाजपा और शिवसेना के बीच संबंधों में सेतु माना जाता था। नरेंद्र मोदी ने जब लोकसभा के लिए प्रचार शुरू किया तो उन्होंने नये सहयोगियों की तलाश शुरू की, मुंडे राजनीतिक तौर पर अपनी व्यापक स्वीकार्यता के चलते आरपीआई के रामदास अठावले, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के राजू शेट्टी और राष्ट्रीय समाज पार्टी के महादेव जनखड़ को ‘महायुती’ में ले आए जिसने लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ा और राज्य में 48 सीटों में से 42 सीटें प्राप्त की।
महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य से उनके हट जाने से भाजपा महाराष्ट्र के महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव से पहले एक करिश्माई नेता से वंचित हो गई है। (एजेंसी इनपुट के साथ)
First Published: Wednesday, June 4, 2014, 08:45