Last Updated: Friday, October 4, 2013, 00:22

नई दिल्ली : भाजपा ने गुरुवार को आरोप लगाया कि सरकार यह दुष्प्रचार कर रही है कि विपक्ष ने दोषी ठहराए जाने वाले जन प्रतिनिधियों से जुड़े विधेयक का शुरू में समर्थन किया था लेकिन बाद में अपना रूख बदल लिया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही इस कदम के खिलाफ रही है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने भाजपा की वेबसाइट पर जारी एक आलेख में कहा कि पार्टी को स्पष्टीकरण देने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि संप्रग के मंत्री लोगों को ‘गुमराह’ कर रहे हैं। जेटली ने 13 अगस्त की सर्वदलीय बैठक का हवाला देते हुए कहा कि चर्चा के अंत में उन्हें यह पता चला कि सरकार बैठक में पेश किए गए कुछ प्रस्तावों को अंतिम रूप देगी और इस मामले को स्थायी समिति के पास भेजेगी।
भाजपा नेता ने कहा कि सरकार ने यह बताने की पूरी कोशिश की कि भाजपा विधेयक का पूरा समर्थन करने के पक्ष में थी जो प्रस्तावित था जबकि, सिर्फ विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की गई थी। वह सरकार द्वारा फैलाए गए इस दुष्प्रचार के चलते सच्ची बात कहने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने दावा किया कि विधि मंत्री कपिल सिब्बल ने बाद में उन्हें बताया कि सरकार एक संविधान संशोधन विधेयक लाने की योजना बना रही है। उन्होंने सरकार को ऐसा करने से रोका।
जेटली ने बताया कि इसके बाद सरकार ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (4) में संशोधन करने पर विचार किया लेकिन उनका मत था कि ये बदलाव असंवैधानिक होंगे। जेटली ने सिब्बल के साथ और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के साथ सितंबर के शुरू में हुई एक अन्य बैठक को याद करते हुए कहा कि हमें लगा कि यह नैतिक प्रश्न है और संवैधानिक रूप से अमान्य है। (एजेंसी)
First Published: Friday, October 4, 2013, 00:22