Last Updated: Friday, March 7, 2014, 18:48

नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनावों की घोषणा से कुछ ही दिन पहले कानून मंत्रालय से ओपिनियन पोल यानी चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर रोक लगाने के मुद्दे पर अंतिम निर्णय करने के लिए जोर दिया है लेकिन सरकार इस मुद्दे पर कोई निर्णय लेने की जल्दवाजी में नहीं दिख रही।
कानून मंत्रालय के विधायी विभाग के सचिव को पिछले हफ्ते भेजे एक पत्र में चुनाव आयोग ने ओपिनियन पोल के नतीजों के प्रकाशन पर रोक लगाने के लिए कानून में संशोधन करने के सर्वप्रथम वर्ष 2004 में किये गए अपने प्रस्ताव का उल्लेख किया और इस बात पर खेद जताया कि अब तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं किया गया है।
आयोग ने कहा कि कांग्रेस की शिकायत में उठाए गए मुद्दों के मद्देनजर आयोग यह चाहेगा कि सरकार उपरोक्त प्रस्ताव पर जरूरी कार्रवाई करे। सरकार हालांकि इस मुद्दे पर फैसला करने की जल्दबाजी में नहीं लगती। उसने इस मामले को विधि आयोग को भेज दिया है जो पहले से ही चुनाव सुधार के व्यापक मुद्दों पर गौर कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विधि आयोग पहले ही चुनाव सुधार के मुद्दे की पड़ताल कर रहा है। ओपिनियन पोल चुनाव सुधार के व्यापक मुद्दे का एक हिस्सा है। इसलिए यह मामला उसे भेजा गया है।
मौजूदा कानून चुनाव आयोग को मतदान के महज 48 घंटे पहले आपिनियन पोल पर रोक लगाने की इजाजत देता है। चुनाव आयोग का प्रस्ताव है कि चुनाव की अधिसूचना जारी होने के दिन से लेकर लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के लिए अंतिम चरण का मतदान समाप्त होने तक ओपिनियन पोल के नतीजों के प्रकाशन प्रसारण पर रोक हो। ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध लगाने के लिए जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन करना पड़ेगा। (एजेंसी)
First Published: Friday, March 7, 2014, 18:48