Last Updated: Saturday, February 1, 2014, 00:13
नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक अभिलेख कानून के मुताबिक सरकारी कर्मियों के लिए ई-मेल नीति नहीं तैयार करने को लेकर आज केंद्र सरकार की जमकर खिंचाई की। न्यायमूर्ति बीडी अहमद और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की पीठ ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि अदालत के आदेश के बावजूद ई-मेल नीति तैयार करने में देरी हुई तो ‘कड़ी कार्रवाई’ की जाएगी।
पीठ ने कहा, ‘आप नहीं चाहते होंगे कि हम कोई कड़ी कार्रवाई करें। क्या आप ऐसा चाहते हैं?’ उच्च न्यायालय ने पिछले साल 30 अक्तूबर को ही केंद्र सरकार से कहा था कि वह चार हफ्ते के भीतर ई-मेल नीति तैयार करे। पर आज सुनवाई के दौरान सरकार असहज थी क्योंकि ई-मेल नीति अब तक तैयार नहीं हो सकी है।
न्यायमूर्ति बीडी अहमद ने कहा, ‘मैं नहीं समझ पा रहा कि आप (केंद्र) कर क्या रहे हैं? मुझे लगता है कि इस मुद्दे पर कोई भी गंभीर नहीं है। हम नेताओं को जिम्मेदार करार देते हैं पर नौकरशाहों को तो देखिए, वे कर क्या रहे हैं?’ उन्होंने कहा, ‘नीति तैयार करने के लिए सरकार को चार हफ्ते का वक्त भी दिया गया था। पर आज की तारीख तक किसी ई-मेल नीति को अंतिम रूप नहीं दिया गया। हमें सिर्फ सरकार का रवैया देखना है।’
भाजपा के पूर्व नेता केएन गोविंदाचार्य की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख 24 फरवरी को संबंधित विभाग का कोई वरिष्ठ अधिकारी अदालत में मौजूद रहे और भारत सरकार का पक्ष रखे। (एजेंसी)
First Published: Saturday, February 1, 2014, 00:13